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भारतीय रिज़र्व बैंक ने सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 11 जून 2024 के आदेश द्वारा सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘ऋण और अग्रिम – सांविधिक एवं अन्य प्रतिबंध’ ​​तथा ‘ग्राहक संरक्षण – अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों की सीमित देयता’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1,45,50,000 (एक करोड़ पैंतालीस लाख पचास हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4) (i) और धारा 51(1) के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2022) किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों के परीक्षण के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। बैंक ने (i) सब्सिडी के रूप में सरकार से प्राप्त होने वाली राशि पर एक निगम को कार्यशील पूंजी मांग ऋण को संस्वीकृति दी, और (ii) ग्राहक द्वारा सूचित किए जाने की तारीख से 10 कार्य दिवसों के भीतर ग्राहक के खाते में अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के कुछ मामलों में शामिल राशि को जमा करने (आभासी प्रतिवर्तन) में विफल रहा और ऐसी शिकायतों की प्राप्ति की तारीख से 90 दिनों के भीतर शिकायतों का समाधान करने और कुछ ग्राहकों को मुआवजा प्रदान करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/506

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