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भारतीय रिज़र्व बैंक ने सिटी बैंक एन.ए. पर मौद्रिक दंड लगाया

24 नवंबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सिटी बैंक एन.ए. पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 2 नवंबर 2023 के आदेश द्वारा सिटी बैंक एन.ए. (बैंक) पर 'जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014 के पैराग्राफ 3 - बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 26ए - परिचालनगत दिशानिर्देश', बीआर अधिनियम की धारा 10(1) (बी)(ii) के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए के उल्लंघन और 'भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' के साथ पठित 'बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता' संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के लिए ₹5.00 करोड़ (पाँच करोड़ रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2021) किया गया। आईएसई 2021 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट/ निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक द्वारा बीआर अधिनियम के उपरोक्त प्रावधानों का उल्लंघन और उपरोक्त निदेशों का अननुपालन इस सीमा तक किया गया कि वह (i) निर्धारित समय अवधि के भीतर जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में पात्र राशि जमा करने में विफल रहा, (ii) अपने कुछ स्टाफ सदस्यों को कमीशन के रूप में पारिश्रमिक का भुगतान किया, और (iii) एएमएल (धन शोधन निवारण) अलर्ट की निगरानी और निपटान/ बंद करने (निर्णय लेने का कार्य) का कार्य एक समूह कंपनी को आउटसोर्स किया। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, बैंक द्वारा प्रस्तुत अतिरिक्त जानकारी और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन और भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1355

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