भारतीय रिज़र्व बैंक ने सिटी यूनियन बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 8 फरवरी 2024 के आदेश द्वारा सिटी यूनियन बैंक लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ''आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिमों से संबंधित प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - एनपीए खातों में विचलन' और 'भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹66.00 लाख (छियासठ लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (आईएसई 2022) हेतु सांविधिक निरीक्षण किया गया। आईएसई 2022 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट/ निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक द्वारा उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन इस सीमा तक किया गया कि (i) उसके द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में और निरीक्षण के दौरान मूल्यांकन में पाई गई अनर्जक आस्तियों (एनपीए) में बड़ा अंतर था, और (ii) इसने अपने ग्राहकों के खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा की कोई प्रणाली नहीं स्थापित की। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1940 |
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