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भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

17 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 17 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'ऋण और अग्रिम- सांविधिक और अन्य प्रतिबंध' संबंधी निदेशों के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 20 की उप-धारा (1), 'बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सेवाएँ’ पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के साथ पठित बीआर अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (2) और धारा 8 के उल्लंघन और 'वाणिज्यिक बैंकों और चुनिंदा एफ़आई द्वारा धोखाधड़ी वर्गीकरण और रिपोर्टिंग' पर भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के लिए 12.19 करोड़ (बारह करोड़ उन्नीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 और 31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2020 और आईएसई 2021) किया गया। आईएसई 2020 और आईएसई 2021 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट/ निरीक्षण रिपोर्ट और इससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) उन कंपनियों को ऋण मंजूर की/ देने का वादा किया, जिनमें उसके दो निदेशक भी निदेशक थे, (ii) गैर-वित्तीय उत्पाद का विपणन और बिक्री में लगे हुए थे, और (iii) निर्धारित समय-सीमा के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने में विफल रहा। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों और इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1127

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