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भारतीय रिज़र्व बैंक ने इण्डियन ओवरसीज़ बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 17 अप्रैल 2025 के आदेश द्वारा इण्डियन ओवरसीज़ बैंक (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘कृषि के लिए ऋण प्रवाह- संपार्श्विक रहित कृषि ऋण’ और ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹63.60 लाख (तिरसठ लाख साठ हजार रुपये मात्र)  का मौद्रिक दंड लगाया है।  यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।                 

31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2023) किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।    

नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:    

  1. बैंक ने कतिपय मामलों में ₹1.60 लाख तक के कृषि ऋण के लिए संपार्श्विक प्रतिभूति ली थी और
  2. बैंक ने कतिपय सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) को प्रदत्त 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए संपार्श्विक प्रतिभूति ली थी।   
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/191

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