भारतीय रिज़र्व बैंक ने इनोफिन सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (“लेनडेन क्लब”) पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने इनोफिन सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (“लेनडेन क्लब”) पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 21 अगस्त 2024 के आदेश द्वारा इनोफिन सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (कंपनी) (जिसे “लेनडेन क्लब” भी कहा जाता है) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- पीयर टू पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2017’ और “डिजिटल ऋण संबंधी दिशानिर्देश” के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹1,99,50,000/- (एक करोड़ निन्यानबे लाख पचास हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। जून 2023 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी की जांच की गई थी। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है: कंपनी ने : (i) संभावित उधारदाताओं को उधारकर्ताओं के ऋण मूल्यांकन और जोखिम प्रोफाइल सहित आवश्यक व्यक्तिगत विवरण प्रकट नहीं किए; (ii) व्यक्तिगत ऋणदाताओं की विशिष्ट स्वीकृति के बिना ऋण संवितरित किए; (iii) निर्धारित ‘निधि अंतरण प्रणाली’ का उल्लंघन करते हुए ‘सह-उधार एस्क्रो खाते’ के माध्यम से पी2पी प्लेटफॉर्म के ऋण खातों में संवितरित और एकत्र की गई राशि को रूट किया; और (iv) मर्चेंट फाइनेंस ऋणों में तीसरे पक्ष, जो कंपनी के लिए ऋण सेवा प्रदाता के रूप में कार्य कर रहा था, के नोडल खाते के माध्यम से चुकौती करने की अनुमति दी।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/965 |