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भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 7 जनवरी 2025 के आदेश द्वारा जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले - यूसीबी’ तथा ‘जमा खातों का रखरखाव - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹17.50 लाख (सत्रह लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949  की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2022 और 31 मार्च 2023  को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में उनकी विफलता  के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:  

बैंक:

  1. कतिपय उधारकर्ताओं के ऋण खातों को अनर्जक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रहा; और

  2. बचत बैंक खातों पर न्यूनतम शेष राशि न रखने के लिए, कमी की सीमा के अनुपात के बजाय एकसमान दर के आधार पर दंडात्मक प्रभार लगाया।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1887

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