भारतीय रिज़र्व बैंक ने कोसमट्टम फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने कोसमट्टम फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
3 नवंबर 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने कोसमट्टम फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 25 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा कोसमट्टम फाइनेंस लिमिटेड, कोट्टायम (कंपनी) पर "गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-जमा स्वीकार करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016" के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹13.38 लाख (तेरह लाख अड़तीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (सीआईसी (आर) अधिनियम) की धारा 23(4) के साथ पठित धारा 25(1)(iii) और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (आरबीआई अधिनियम) की धारा 58बी(5)(एए) के साथ पठित धारा 58जी (1)(बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2022 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए कंपनी के सांविधिक निरीक्षण, तथा जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि कंपनी ने (i) साख सूचना कंपनियों को स्वर्ण ऋण खातों से संबंधित ऋण की सूचना प्रस्तुत नहीं की और (ii) वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कतिपय ऋण खातों में 75% का एलटीवी अनुपात बनाए नहीं रखा। परिणामस्वरूप, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर पर विचार करने तथा इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों की जांच करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1235 |