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भारतीय रिज़र्व बैंक ने कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

4 जुलाई 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 29 जून 2022 के आदेश द्वारा कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड (बैंक) पर 'जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014' के पैराग्राफ 3 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 26ए की उप-धारा (2) के प्रावधानों के उल्लंघन और 'ग्राहक सुरक्षा - अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों की सीमित देयता', और 'ऋण और अग्रिम – सांविधिक और अन्य प्रतिबंध' पर निदेशों का अननुपालन करने के लिए 1,05,00,000/- (रुपये एक करोड़ पांच लाख मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड अधिनियम की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2018 और 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन के लिए आरबीआई द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण (आईएसई) किया गया। जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचारों की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित सीमा तक अधिनियम के उपरोक्त प्रावधानों तथा आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के उल्लंघन/ अननुपालन का पता चला कि बैंक निर्धारित अवधि के भीतर जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में पात्र राशि जमा करने में विफल रहा, (ii) कुछ मामलों में, ग्राहक द्वारा अधिसूचना की तारीख से 10 कार्य दिवसों के भीतर ग्राहकों के खाते में अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में शामिल राशि को क्रेडिट (शैडो रिवर्सल) करने में विफल रहा, और (iii) स्टॉक ब्रोकरों को अग्रिमों पर मार्जिन बनाए रखने/लागू करने में विफल रहा। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन तथा आरबीआई द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई में की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और उनके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों/ आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के उल्लंघन/ अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और इन अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों/ आरबीआई निदेशों के उल्लंघन/ अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/474

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