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भारतीय रिज़र्व बैंक ने एल एण्ड टी फाइनेंस लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया

20 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एल एण्ड टी फाइनेंस लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 17 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा एल एण्ड टी फाइनेंस लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र (कंपनी) पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा स्वीकार न करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए 2.50 करोड़ (दो करोड़ पचास लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 और 31 मार्च 2022 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए इसके सांविधिक निरीक्षण और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्रों और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि कंपनी ने (i) अपने खुदरा उधारकर्ताओं को ऋण आवेदन पत्र/ मंजूरी पत्र में विभिन्न श्रेणियों के उधारकर्ताओं से अलग-अलग ब्याज दरें वसूलने के जोखिम के वर्गीकरण और तर्क का खुलासा नहीं किया, (ii) जब दंडात्मक ब्याज दर, जो मंजूरी के समय सूचित की गई राशि से अधिक थी, वसूल की तब अपने उधारकर्ताओं को दंडात्मक ब्याज दर में बदलाव के बारे में सूचित करने में विफल रहा और (iii) जब मंजूरी के समय बताई गई ब्याज दर से अधिक वार्षिक ब्याज दर वसूल की तब अपने उधारकर्ताओं को ऋण के नियमों और शर्तों में बदलाव की सूचना देने में विफल रहा। परिणामस्वरूप, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर कंपनी के उत्तर और मौखिक सुनवाई के दौरान किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेश के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और इन निदेशों की अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1156

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