भारतीय रिज़र्व बैंक ने एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 27 मार्च 2024 के आदेश द्वारा एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - आवास वित्त कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2021' के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹49,70,000/- (उनचास लाख सत्तर हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 52ए के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2022 तक कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा इसका सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि अनुदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर कंपनी के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों के परीक्षण के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। कंपनी ने उक्त निदेशों में निहित उचित व्यवहार संहिता के कतिपय प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया, जब उसने i) ऋण आवेदन पत्र और मंजूरी पत्रों में ब्याज की दर और जोखिम को बढ़ाने संबंधी दृष्टिकोण और उधारकर्ताओं की विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग ब्याज दर वसूलने के औचित्य का खुलासा नहीं किया और ii) आवास ऋणों में (क) अस्थिर दर के आधार पर, जो किसी भी स्रोत से पहले ही बंद कर दिया गया था और (ख) निश्चित दर के आधार पर, जो उधारकर्ता के स्वयं के स्रोतों से पहले ही बंद कर दिया गया था, पूर्व-भुगतान का दंड लगाया।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/56 |