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भारतीय रिज़र्व बैंक ने एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया

31 अक्तूबर 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 21 अक्तूबर 2022 के आदेश द्वारा एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, मुंबई पर भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंक) द्वारा दिनांक 13 अगस्त 2019 को जारी “आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) के विनियमन का भारतीय रिज़र्व बैंक के पास अंतरण” संबंधी प्रेस प्रकाशनी के साथ पठित राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) द्वारा दिनांक 2 जुलाई 2018 को जारी “आवास वित्त कंपनियां (एनएचबी) निदेश, 2010” के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए 5.00 लाख (पाँच लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 (एनएचबी अधिनियम) की धारा 49 की उप-धारा (3) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 52ए की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को आवास वित्त कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में एनएचबी द्वारा किए गए इसके सांविधिक निरीक्षण तथा निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र एवं उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, एनएचबी अधिनियम की धारा 29बी के तहत कंपनी के जमाकर्ताओं द्वारा निवेश की गई संपत्ति के एक हिस्से पर अपने जमाकर्ताओं के पक्ष में चल प्रभार लगाने में कंपनी की विफलता तथा कंपनी के रजिस्ट्रार के पास इस तरह के प्रभार का पंजीकरण न करने संबंधी बातों का पता चला। उक्त के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि सांविधिक निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर कंपनी के उत्तर पर विचार करने तथा उसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों की जांच के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त सांविधिक निदेशों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1121

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