भारतीय रिज़र्व बैंक ने नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
3 फरवरी 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 30 जनवरी 2023 के आदेश द्वारा, नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिमों से संबंधित प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - एनपीए खातों में विचलन' और 'पूंजी पर्याप्तता और बाजार अनुशासन पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश - नई पूंजी पर्याप्तता फ्रेमवर्क (एनसीएएफ)’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹39.50 लाख (उनचालीस लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2020 तक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया, तथा निरीक्षण रिपोर्ट (आईआर) और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह भी पता चला कि बैंक (i) उधार खातों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रहा, जिसके कारण 31 मार्च 2020 को रिपोर्ट किए गए और मूल्यांकन किए गए एनपीए के बीच काफी अंतर आया और (ii) अपनी वार्षिक रिपोर्ट में और वेबसाइट पर वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए पिलर 3 का प्रकटन करने में विफल रहा। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और इन निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1663 |