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भारतीय रिज़र्व बैंक ने पेमी (PayMe) इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 3 जून 2025 के आदेश द्वारा पेमी (PayMe) इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (आरबीआई अधिनियम) की धारा 45आईए(5) के अंतर्गत रिज़र्व बैंक द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र (सीओआर) की विशिष्ट शर्तों और रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- स्केल आधारित विनियमन) निदेश, 2023' के साथ पठित ‘मास्टर निदेश- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से गैर-महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016’ के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹2 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, आरबीआई अधिनियम की धारा 58बी(5)(ए & एए) के साथ पठित धारा 58जी(1)(बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

कंपनी के परिचालन की समीक्षा करने हेतु कंपनी के निदेशक/ निदेशकों और मुख्य प्रबंधकीय कार्मिक के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक की बैठक के दौरान तथा उससे संबंधित पत्राचार से यह पाया गया कि कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी कतिपय निदेशों के अनुपालन में विफल रही है। उक्त के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

कंपनी ने:

  1. पंजीकरण प्रमाणपत्र की विशिष्ट शर्तों का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक जमाराशियाँ स्वीकार कीं; और
  2. अपनी चुकता इक्विटी पूंजी के 26 प्रतिशत से अधिक शेयरधारिता में परिवर्तन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व लिखित अनुमति प्राप्त करने में विफल रही।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा इसके ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/484

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