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भारतीय रिज़र्व बैंक ने सैपर्स फाइनेंस एंड कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता पर मौद्रिक दंड लगाया

     भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 2 नवंबर 2023 के आदेश द्वारा सैपर्स फाइनेंस एंड कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा  (i) 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के अधिग्रहण/ नियंत्रण हस्तांतरण के मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करने की आवश्यकता'; और (ii) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एनबीएफसी द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले सांविधिक लेखा परीक्षक प्रमाणपत्र (एसएसी) का प्रारूप' पर जारी निदेशों के साथ पठित 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी विवरणियां (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016' पर जारी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.50 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58बी (5)(एए) के साथ पठित धारा 58जी (1)(बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।                               

     यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक् कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।    

पृष्ठभूमि     

     भारतीय रिज़र्व बैंक को एक संदर्भ प्राप्त हुआ और मामले की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि कंपनी (i) प्रबंधन में परिवर्तन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व मंजूरी लेने में विफल रही; और (ii) भारतीय रिज़र्व बैंक को लागू विवरणियां और संविधिक लेखा परीक्षक का प्रमाण पत्र जमा करने में विफल रही। परिणामस्वरूप, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों लगाया जाए।                

    नोटिस पर कंपनी के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और कंपनी पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।         

  

(योगेश दयाल)      

मुख्य महाप्रबंधक 

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1322

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