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भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्री गणेश सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 3 अप्रैल 2025 के आदेश द्वारा श्री गणेश सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक, महाराष्ट्र (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा  56 के साथ पठित धारा 26ए के प्रावधानों के उल्लंघन और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन/ भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त प्रावधानों और निदेशों के अनुपालन में विफल रहने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:  

बैंक

  1. निर्धारित समय- सीमा के भीतर पात्र अदावी राशि को जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि में अंतरित करने में विफल रहा; और
  2. (ए) निर्धारित अवधि के अनुसार अपने ग्राहकों के केवाईसी का आवधिक अद्यतन करने, और (बी) छह महीने में कम से कम एक बार सभी खातों के जोखिम वर्गीकरण की समीक्षा करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/48

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