भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 26 फरवरी 2024 के आदेश द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (बैंक) पर जमाकर्ता शिक्षण जागरूकता निधि योजना, 2014 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 19 की उप-धारा (2) और बीआर अधिनियम की धारा 26ए की उप-धारा (2) के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए ₹2.00 करोड़ (दो करोड़ रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2022) किया गया। आईएसई 2022 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट/ निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) कतिपय कंपनियों की चुकता शेयर पूंजी के तीस प्रतिशत से अधिक की राशि के शेयरों को गिरवी के रूप में रखा और (ii) बीआर अधिनियम में निर्धारित अवधि के भीतर जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि में पात्र राशि जमा करने में विफल रहा। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के उल्लंघन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों और इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि बीआर अधिनियम के कतिपय प्रावधानों के उल्लंघन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1938 |