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भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 29 अप्रैल 2025 के आदेश द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘ऋण और अग्रिम- सांविधिक और अन्य प्रतिबंध’, ‘ग्राहक संरक्षण – अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेनों में ग्राहकों की देयता सीमित करना’ तथा ‘बैंकों द्वारा चालू खाते खोलना - अनुशासन की आवश्यकता’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1,72,80,000 (एक करोड़ बहत्तर लाख अस्सी हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2023) किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

  1. बैंक ने सब्सिडी/ प्रतिपूर्ति के माध्यम से केंद्र/ राज्य सरकार से प्राप्त होने वाली राशि के सापेक्ष एक संस्था को पूरक ऋण दिया;
  2. बैंक (i) ग्राहक द्वारा अधिसूचना की तारीख से 10 कार्य दिवसों के भीतर कतिपय ग्राहक खातों में अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में शामिल राशि जमा करने (आभासी प्रतिवर्तन) में विफल रहा और (ii) शिकायत प्राप्त होने की तारीख से 90 दिनों के भीतर कतिपय ग्राहकों को मुआवजा देने में विफल रहा;
  3. बैंक ने विनियामक आवश्यकताओं के उल्लंघन में कतिपय चालू खाते खोले/ बनाए रखे।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/303

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