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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अकोला जनता कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अकोला पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 31 दिसंबर 2024 के आदेश द्वारा दि अकोला जनता कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अकोला(बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949(बीआर अधिनियम) की धारा  56 के साथ पठित धारा 26ए के प्रावधानों के उल्लंघन तथा 'जमा खातों का रखरखाव - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक' पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी कतिपय निदेशों का अनुपालन न करने के लिए ₹15.40 लाख  (पंद्रह लाख चालीस हज़ार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2022 और 31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन/ रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन  के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त  प्रावधानों और निदेशों के अनुपालन  में विफल होने के लिए  उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
बैंक:

  1. बैंक निर्धारित समय- सीमा  के भीतर पात्र अदावाकृत  राशि को जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरूकता निधि में अंतरित करने; और
  2. कुछ मृतक जमाकर्ताओं के दावों का निपटान करने  तथा उत्तरजीवी/नामिती को निर्धारित समय के भीतर भुगतान जारी करने  में विफल रहा।
    

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1843

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