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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि चित्तूर को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, चित्तूर, आंध्र प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया

28 नवंबर 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि चित्तूर को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, चित्तूर, आंध्र प्रदेश
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 24 नवंबर 2022 के आदेश द्वारा दि चित्तूर को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, चित्तूर, आंध्र प्रदेश (बैंक) पर जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि की स्थापना, अग्रिमों का प्रबंधन - शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी), आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले-यूसीबी तथा अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/ धनशोधन निवारण (एएमएल)/ आतंकवाद वित्तपोषण का मुकाबला करने (सीएफटी) हेतु दिशानिर्देश के अंतर्गत जारी निदेशों के अननुपालन/ उल्लंघन के लिए 6.00 लाख (छह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर इसके निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने डीईए फंड में अंतरित किए जाने के लिए पात्र संपूर्ण जमाराशि की सही पहचान नहीं की और पात्र निष्क्रिय बचत बैंक खातों और चालू खातों (10 वर्षों से अधिक समय से परिचालित नहीं) में पड़ी राशि को भी डीईए फंड में अंतरित नहीं किया। एकबारगी पुनर्भुगतान योजना के अंतर्गत स्वर्ण ऋण के लिए निर्धारित सीमा के संबंध में दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के मामले थे और केवाईसी/एएमएल/सीएफटी दिशानिर्देशों से संबंधित उल्लंघन भी हुए, जिसमें गिरवीकर्ताओं /साहूकारों को बिना किसी जांच के कई तरह के ऋण दिए गए, चूंकि एक ही व्यक्ति के नाम पर अलग-अलग ग्राहक आईडी के साथ कई स्वर्ण ऋण बकाया थे, इस प्रकार यूसीआईसी मानदंडों का पालन नहीं किया गया। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि निदेशों का अननुपालन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1267

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