भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि खेड़ा पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, खेड़ा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि खेड़ा पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, खेड़ा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 15 नवंबर 2024 के आदेश द्वारा दि खेड़ा पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, खेड़ा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना’ और 'प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) - लक्ष्य और वर्गीकरण' संबंधी कतिपय निदेशों तथा पीएसएल की प्राप्ति में कमी के कारण सूक्ष्म और लघु उद्यम (एमएसई) पुनर्वित्त निधि में अंशदान करने संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विशिष्ट निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.10 लाख (दो लाख दस हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। 31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। इसके अलावा ,भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विशिष्ट निदेशों के माध्यम से बैंक को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पीएसएल लक्ष्य की प्राप्ति में कमी के प्रति भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा प्रशासित एमएसई पुनर्वित्त निधि में एक निश्चित राशि जमा करने का निदेश दिया गया था। निर्धारित राशि जमा करने में विफल रहने पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को अपेक्षित राशि जमा करने की सूचना देते हुए एक चेतावनी पत्र भी जारी किया था, लेकिन बैंक पुनः इसे जमा करने में विफल रहा। सांविधिक निरीक्षण के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन/ विशिष्ट निदेशों के अननुपालन तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को नोटिस जारी किए गए जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है: i) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक प्रतिपक्षकार एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया; औरand ii) वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पीएसएल लक्ष्य की प्राप्ति में कमी के प्रति निर्धारित समय के भीतर और चेतावनी पत्र जारी होने के बाद भी सिडबी द्वारा प्रशासित एमएसई पुनर्वित्त निधि में निर्धारित राशि जमा करने में विफल रहा। यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। (पुनीत पंचोली प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1579 |