भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मंजेरी को-ऑपरेटिव (अर्बन) बैंक लिमिटेड सं.1726, मंजेरी, मलाप्पुरम जिला, केरल पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मंजेरी को-ऑपरेटिव (अर्बन) बैंक लिमिटेड सं.1726, मंजेरी, मलाप्पुरम जिला, केरल पर मौद्रिक दंड लगाया
18 जून 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मंजेरी को-ऑपरेटिव (अर्बन) बैंक लिमिटेड सं.1726, मंजेरी, मलाप्पुरम जिला, भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 17 जून 2021 के आदेश द्वारा दि मंजेरी को-ऑपरेटिव (अर्बन) बैंक लिमिटेड सं.1726, मंजेरी, मलाप्पुरम जिला, केरल (बैंक) पर, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिनांक 1 जुलाई 2015 का मास्टर निदेश - आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधी मामले-यूसीबी और दिनांक 1 जुलाई 2015 का अग्रिमों का प्रबंधन - यूसीबी संबंधी परिपत्र में निहित निदेशों के कतिपय प्रावधानों के उल्लंघन/अननुपालन के लिए ₹10.00 लाख (दस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि बैंक की 31 मार्च 2020 की वित्तीय स्थिति के आधार पर रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण रिपोर्ट से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी “आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधी मामले”, और “अग्रिमों का प्रबंधन- यूसीबी” संबंधी निदेशों का उल्लंघन/अननुपालन किया गया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। बैंक के लिखित उत्तर और वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी मौजूदा निदेशों का अनुपालन नहीं करने के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/395 |