भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मेहसाना अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मेहसाना, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मेहसाना अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मेहसाना, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया
8 अगस्त 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मेहसाना अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मेहसाना, गुजरात भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 1 अगस्त 2022 के आदेश दि मेहसाना अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मेहसाना (बैंक), गुजरात पर, भारतीय रिज़र्व बैंक (सहकारी बैंक- जमाराशियों पर ब्याज) निदेश, 2016 के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹40.00 लाख (चालीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट तथा उससे संबंधित सभी पत्राचारों की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला है कि बैंक (i) मीयादी जमाराशियों, जो रविवार/छुट्टियों/गैर-कारोबारी कार्य दिवसों में परिपक्व हो गई थीं और बीच के इन दिनों के कारण अगले कार्य दिवस पर चुकाई गई थीं, पर (ii) मृत व्यक्तिगत जमाकर्ताओं/स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों के चालू खातों में पड़ी शेष राशि, उनकी मृत्यु की तारीख से लेकर उनके दावेदारों को चुकौती की तारीख तक, पर और (iii) मीयादी जमाराशियों, जिसपर परिपक्वता के बाद भी कोई दावा नहीं किया गया, उन जमाराशियों की चुकौती के समय परिपक्वता की बाद की अवधि के लिए, ब्याज दर का भुगतान करने में विफल रही। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/676 |