भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि नासिक मर्चेंट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नासिक पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि नासिक मर्चेंट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नासिक पर मौद्रिक दंड लगाया
11 जुलाई 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि नासिक मर्चेंट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नासिक भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 7 जुलाई 2022 के आदेश द्वारा दि नासिक मर्चेंट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नासिक (बैंक) पर, आरबीआई द्वारा 'अन्य बैंकों के पास जमाराशि का नियोजन’ और 'जमाराशि पर ब्याज दर' पर जारी निदेशों का अननुपालन करने के लिए ₹50.00 लाख (पचास लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के अंतर्गत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 और 31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर आरबीआई द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी संबंधित पत्राचार से अन्य बातों के साथ-साथ, आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के इस सीमा तक अननुपालन का पता चला कि बैंक ने (i) ऐसा करने के लिए अपात्र होने के बावजूद, अन्य गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों के वर्तमान खातों में नई जमाराशि स्वीकार करना जारी रखा, 31 मार्च 2020 तक इस तरह के अंतर-बैंक जमाराशियों को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया, और एक गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक का एक नया चालू खाता भी खोला और उसमें जमाराशि भी स्वीकार की, और (ii) खाताधारकों की मृत्यु की तारीख से दावों के निपटान की तारीख तक मृत व्यक्तिगत जमाकर्ताओं/एकल स्वामित्व वाली संस्थाओं के चालू खातों में पड़ी जमाराशियों पर लागू ब्याज का भुगतान करने में विफल रहा। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों का उल्लंघन, जैसा कि उसमें कहा गया है, के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और इन निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/516 |