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भारतीय रिज़र्व बैंक ने केवाईसी/एएमएल निदेशों का उल्लंघन करने पर दो बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाया; तीन बैंकों को चेतावनी दी

17 दिसंबर 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक ने केवाईसी/एएमएल निदेशों का उल्लंघन करने पर दो बैंकों पर मौद्रिक दंड
लगाया; तीन बैंकों को चेतावनी दी

रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी)/धन शोधन निवारक (एएमएल) पर इसके अनुदेशों का उल्लंघन करने पर निम्नलिखित दो बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाया है। दंड का ब्यौरा इस प्रकार है:

क्र.सं.

बैंक का नाम

दंड की राशि ( मिलियन में)

1

आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड

5.00

2

बैंक ऑफ बड़ौदा

2.50

उक्त दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(आई) के साथ पठित धारा 47(ए)(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए लगाया गया है।

पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को अगस्त 2013 में एक प्रतिष्ठित सांविधिक संगठन से शिकायत प्राप्त हुई जिसके माध्यम से सांविधिक संगठन के कुछ अधिकारियों की उपेक्षा के साथ पांच बैंकों (अर्थात भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड, बैंक ऑफ बड़ौदा, एक्सिस बैंक लिमिटेड और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला) में हुई जालसाजी के ब्यौरे रिज़र्व बैंक के संज्ञान में आए। जालसाजी करने वाले लोगों ने उपर्युक्त पांच बैंकों में सांविधिक संगठन के नाम पर फर्जी खाते खुलवाए और इन बैंकों द्वारा जाने बिना एक महीने से लेकर दो वर्षों की अवधि तक मुख्य रूप से चेकों/मांग ड्राफ्ट/पोस्टल आर्डर के नकदीकरण के लिए परिचालित किए गए जिनके वे सही मालिक नहीं थे।

जनवरी 2014 में उपर्युक्त पांच बैंकों में छानबीन की गई जिससे शीघ्र मामले में बैंकों द्वारा वर्तमान विनियामक अनुदेशों का पालन सुनिश्चित हो सके। छानबीन के निष्कर्षों में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी कतिपय विनियामक दिशानिर्देशों के उल्लंघन का पता चला, इनमें शामिल थे:

  • ग्राहक पहचान और स्वीकृति प्रक्रिया जैसे अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदंडों के कुछ पहलुओं का पालन नहीं करना

  • रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अपने ग्राहक को जाने दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले बैंक की ग्राहक पहचान प्रक्रिया संबंधी आंतरिक मानदंड

  • ग्राहक के खातों में लेनदेनों की निगरानी पर अनुदेशों का पालन नहीं करना

छानबीन के निष्कर्षों के आधार पर रिज़र्व बैंक ने इन सभी बैंकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसके जवाब में अलग-अलग बैंक ने अपना लिखित जवाब प्रस्तुत किया। प्रत्येक मामले के तथ्यों और अलग-अलग बैंक के जवाब, व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने, प्रस्तुत कराई गई सूचना और दस्तावेजों पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि कुछ गंभीर स्वरूप के उल्लंघन साबित हो गए हैं और दो बैंकों अर्थात आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड और बैंक ऑफ बड़ौदा पर उपर्युक्त निर्धारित मौद्रिक दंड लगाना आवश्यक हो गया है। इन बैंकों की तरफ से समय पर उपचारात्मक उपाय नहीं करने से उल्लंघन और इसके प्रभाव की गंभीरता बढ़ गई।

तीन शेष बैंक अर्थात भारतीय स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक लिमिटेड और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला के संबंध में जिनकी इस प्रकार की छानबीन की गई थी और स्पष्टीकरण मांगा गया था, लिखित और मौखिक जवाब के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि कोई मौद्रिक दंड नहीं लगाया जाए क्योंकि जिन परिस्थितियों में इन बैंकों द्वारा जाली खाते खोले गए और बिना जाने परिचालित किए गए, के संबंध में बैंकों के स्पष्टीकरण को उचित माना गया। तथापि, इन बैंकों को उचित उपाय लागू करने और समय-समय पर इनकी समीक्षा करने के लिए सावधान किया गया है जिससे कि भविष्य में अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) आवश्यकताओं का सख्ती से पालन सुनिश्चित हो सके।

अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1260

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