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भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूको बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया

28 जुलाई 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूको बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूको बैंक पर 10 मिलियन का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड चालू खाते खोलने और खाताधारकों की उक्त बैंक में उधार सुविधा हुए बिना बिल भुनाई सुविधा प्रदान करने के लिए रिज़र्व बैंक के अनुदेशों का उल्लंघन करने के लिए लगाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप निधियों का अनुचित रूप से आहरण हुआ। यह दंड समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों/निदेशों/दिशानिर्देशों के उल्लंघन को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47(क)(1)(ग) के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन की कमियों पर आधारित है और इसका इरादा बैंक और इसके ग्राहकों के बीच किसी लेनदेन या करार की वैधता पर अपना मत देना नहीं है।

पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मई-जून 2015 के दौरान यूको बैंक की एक शाखा में खाता बहियों, आंतरिक नियंत्रण, अनुपालन प्रणाली और प्रक्रियाओं का निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, उक्त बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी कुछ विनियमों अनुदेशों का उल्लंघन करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसमें निम्नलिखित शामिल था -

  1. बैंक ने अपनी एक शाखा में चार साख पत्रों का मिति काटे पर भुगतान किया और मुनाफे को लाभार्थियों के चालू खातों में क्रेडिट किया जिन लाभार्थियों ने बैंक से किसी प्रकार की ऋण सुविधा प्राप्त नहीं की थी तथा जमाराशियों को अन्य समूह खातों में अंतरित किया गया जिसके परिणामस्वरूप निधियों का अनुचित आहरण (सिफनिंग ऑफ फंड) हुआ।

  2. चालू खाते खोलने से पहले बैंक ने उन बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त नहीं किए जिन्होंने इन लाभार्थियों को नियमित क्रेडिट सुविधाएं मंजूर की हुई थी।

बैंक के जवाब और व्यक्तिगत रूप से सुनवाई करने, प्रस्तुत सूचना तथा दस्तावेजों पर विचार करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उक्त उल्लंघन सिद्ध हो गए और मौद्रिक दंड लगाना आवश्यक हो गया।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/250

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