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भारतीय रिज़र्व बैंक ने वसई विकास सहकारी बैंक लि., वसई, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया

26 अक्तूबर 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वसई विकास सहकारी बैंक लि., वसई, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने, दिनांक 26 अक्तूबर 2021 के आदेश द्वारा वसई विकास सहकारी बैंक लि., वसई, महाराष्ट्र (बैंक) पर आरबीआई द्वारा बैंकों को जारी दिनांक 22 नवंबर 2018 के विशेष निदेश तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 31 के प्रावधानों के साथ “अग्रिमों का प्रबंधन-यूसीबी”, "आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले - यूसीबी" संबंधी निदेशों का अननुपालन करने के लिए 90.00 लाख (नब्बे लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 31 के प्रावधानों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण, उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट और सभी संबंधित पत्राचार की जांच से अन्य बातों के साथ साथ यह पता चला कि बैंक ने उधार खातों में निधियों के अंतिम उपयोग सुनिश्चित करने और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के रूप में ऋण/अग्रिमों के वर्गीकरण संबंधी आरबीआई के निदेशों, आरबीआई के विशेष निदेश यह सुनिश्चित करने के लिए कि अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 29 के अनुसार बैंक का तुलन-पत्र और लाभ और हानि खाते पर कम से कम तीन निदेशकों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं (इस तरह के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए नोट किए जाने के बावजूद) तथा अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 31 के प्रावधानों का अननुपालन किया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई के निदेशों तथा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों तथा अधिनियम के प्रावधानों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और इस तरह के निदेशों और अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन न करने की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2021-2022/1100

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