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भारतीय रिज़र्व बैंक ने विज़नरी फाइनेंसपीयर प्राइवेट लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 25 फरवरी 2025 के आदेश द्वारा विज़नरी फाइनेंसपीयर प्राइवेट लिमिटेड (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- पीयर टू पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2017  ’ के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹16.60 लाख (सोलह लाख साठ हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

सितंबर 2023 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी की जांच की गई थी। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। 

नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

कंपनी ने:

  1. व्यक्तिगत ऋणदाताओं की विशिष्ट स्वीकृति के बिना व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को ऋण संवितरित किया, तथा यह सुनिश्चित नहीं किया कि प्रत्येक व्यक्तिगत ऋणदाता और उधारकर्ता ने ऋण करार पर हस्ताक्षर किए हैं;
  2. ऋणदाताओं को उधारकर्ताओं के आवश्यक विवरण प्रकट नहीं किए;
  3. इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के मूल्य निर्धारण के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति नहीं थी;
  4. कतिपय मामलों में, (ए) यह सुनिश्चित नहीं किया कि सेवा प्रदाताओं के साथ उसके करार में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सेवा प्रदाताओं के निरीक्षण करने के अधिकार को मान्यता देने संबंधी खंड शामिल हैं, और (बी) सेवा प्रदाताओं की वार्षिक समीक्षा नहीं की; तथा
  5. आंशिक ऋण जोखिम उठाया, जो एनबीएफ़सी-पी2पी कंपनियों के लिए ‘गतिविधियों के दायरे’ के अंतर्गत प्रदान नहीं किया गया था।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।  

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/2334

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