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भारतीय रिज़र्व बैंक ने ज़ारोऐस्ट्रीअन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बॉम्बे पर मौद्रिक दंड लगाया

28 नवंबर 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ज़ारोऐस्ट्रीअन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बॉम्बे
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 23 नवंबर 2022 के आदेश द्वारा ज़ारोऐस्ट्रीअन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बॉम्बे (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'शहरी सहकारी बैंकों द्वारा बिलों की भुनाई - प्रतिबंधित साख पत्र (एलसी)' संबंधी निदेशों और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 45वाई के अंतर्गत तैयार किए गए सहकारी बैंक (अभिलेखों के संरक्षण की अवधि) नियम, 1985 (नियम) के प्रावधानों के अननुपालन के लिए 1.25 करोड़ (एक करोड़ पच्चीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और इससे संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, एक बाह्य लेखा परीक्षक के फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट (एफएआर) और मामले में सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'शहरी सहकारी बैंकों द्वारा बिलों की भुनाई - प्रतिबंधित साख पत्र (एलसी)' संबंधी निदेशों और नियमों के प्रावधानों का पालन करने में विफल रहा है, क्योंकि इसने अंतर्निहित लेनदेन / दस्तावेजों की वास्तविकता की पुष्टि किए बिना एलसी के अंतर्गत निभाव बिलों को भुनाया और आठ वर्षों की अवधि के लिए अभिलेखों को सही क्रम में संरक्षित करने में विफल रहा। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों/ नियमों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों/ नियमों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और ऐसे निदेशों/ नियमों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1272

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