भारतीय रिज़र्व बैंक ने वर्किंग पेपर श्रृंखला लागू की - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने वर्किंग पेपर श्रृंखला लागू की
1 अप्रैल 2011 भारतीय रिज़र्व बैंक ने वर्किंग पेपर श्रृंखला लागू की भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर दो वर्किंग पेपर जारी किया। वे इस प्रकार हैं: वंर्किंग पेपर 1 : सोमनाथ शर्मा द्वारा भारत में करेंसी फ्चूचर्स और विनिमय दर अस्थिरता के बीच संबंध का एक अनुभवजन्य विश्लेषण; और वर्किंग पेपर 2 : एस. अरुणाचलमनन और रमेश गोलाइत द्वारा भारत के व्यापार पर रेनमिन्बी आंदोलन के प्रभाव - एक अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया है कि रिज़र्व बैंक के स्टाफ को अपने अनुसंधान अध्ययन प्रस्तुत करने के साथ-साथ सुविज्ञ अनुसंधानकर्ताओं से प्रतिसूचना प्राप्त करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराने हेतु 'भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला (आरबीआइ-डब्लयूपी)' लागू की जाए। केंद्रीय बैंकों में अनुसंधान की एक विशेषता यह है कि संगत गतिविधियों और उभरती हुई चुनौतियों की जानकारी प्राप्त की जाए तथा नीति निर्माण के लिए गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान इनपुट उपलब्ध कराया जाए। ऐसा करने के लिए अनुसंधान अध्ययन केंद्रीय बैंक के लक्ष्यों और उद्देश्यों के सहबद्ध विषयों पर होने चाहिए तथा उन्हें एक वैज्ञानिक ढंग से आयोजित किया जाना चाहिए। केंद्रीय बैंक स्टाफ की पूर्वसक्रियता और रणनीतिक भूमिका के साथ अनुसंधान इनपुट वैज्ञानिक ढंग से नीति निर्माण तथा केंद्रीय बैंक के सक्षम कार्यकलाप के लिए आवश्यक उपकरण बन सकेंगे। वकिंग पेपरों को प्रकाशित करने का प्रयास ऐसे प्रयत्नों के प्रति योगदान देने के लिए रिज़र्व बैंक के स्टाफ को प्रोत्साहित करने के परिप्रेक्ष्य में आया है। रिज़र्व बैंक के पास 'सामयिक पेपर' नामक दूसरा अनुसंधान प्रकाशन है। सामयिक पेपरों में प्रकाशित अनुसंधान विषयों की एक व्यापक श्रेणी पर रिज़र्व बैंक के स्टाफ द्वारा प्रस्तुत कार्य है। 'वर्किंग पेपर' श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित पेपर रिज़र्व बैंक के लिए सामयिक प्रासंगिकता के मुद्दे और चुनौतियों पर तीव्र विश्लेषणात्मक अनुसंधान पेपर हैं। सामयिक पेपर जो विशेष आवधिकता के साथ प्रकाशित किए जाते हैं के विपरीत आरबीआइ-डब्ल्यूपी श्रृंखला जब और जैसे तैयार हों तथा केवल अंकीकरण स्वरूप में प्रकाशित किए जाएंगे। 'डीआरजी अध्ययन' भी सामयिक विषयों पर गहराई के साथ किए गए अध्ययन का दूसरा प्रयास है। ये अध्ययन एक 'आंतरिक अनुसंधानकर्ता' दल के नेतृत्व में एक बाहरी विशेषज्ञ को शामिल करते हुए विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) के तत्वावधान में तैयार किए जाते हैं। आरबीआइ वर्किंग पेपर श्रृंखला सहित रिज़र्व बैंक के सभी अनुसंधान प्रकाशनों में व्यक्त विचार आवश्यक रूप से रिज़र्व बैंक के विचारों को नहीं दर्शाते हैं और इस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों के प्रतिनिधित्व के रूप में उनकी रिपोर्ट नहीं की जानी चाहिए। इन पेपरों पर प्रतिसूचना यदि है, तो उसे अनुसंधान अध्ययनों के संबंधित लेखकों को भेजी जा सकती है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/1421 |