भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनाइटेड इंडिया को-आपरेटिव बैंक लि., नगीना, बिजनौर (उत्तर प्रदेश) पर निदेश जारी किए - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनाइटेड इंडिया को-आपरेटिव बैंक लि., नगीना, बिजनौर (उत्तर प्रदेश) पर निदेश जारी किए
15 जुलाई 2015 भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनाइटेड इंडिया को-आपरेटिव बैंक लि., भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि जनहित को देखते हुए यूनाइटेड इंडिया को-आपरेटिव बैंक लि., नगीना, बिजनौर (उत्तर प्रदेश) को कतिपय निदेश जारी करना आवश्यक है। तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा यह निदेश देता है कि यूनाइटेड इंडिया को-आपरेटिव बैंक लि.,नगीना, बिजनौर (उत्तर प्रदेश), 15 जुलाई 2015 को कारोबार की समाप्ति से, भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्व अनुमति लिए बिना, नीचे बताई गई सीमा और रीति को छोड़कर, कोई भी ऋण और अग्रिम मंजूर नहीं करेगा या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियां उधार लेने और नई जमाराशियां स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही, भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा से संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्यथा रीति से उसका निपटान करेगा :
जब तक कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लिखित रूप में विशिष्ट रूप से अनुमोदित न किया गया हो, बैंक न तो कोई अन्य देयताएं अपने ऊपर लेगा और न ही उनका निपटान करेगा। हित रखने वाले जन सदस्यों के अवलोकनार्थ विस्तृत निदेश बैंक परिसर में प्रदर्शित किए गए हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। बैंक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। ये अनुदेश 15 जुलाई 2015 को कारोबार की समाप्ति से छह महीने की अवधि तक प्रभावी बने रहेंगे और इनकी समय-समय पर समीक्षा की जाएगी। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/145 |