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भारतीय रिज़र्व बैंक ने नाशिक जिला गिरना सहकारी बैंक लिमिटेड, नाशिक, महाराष्ट्र पर निदेश जारी किए

29 दिसंबर 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने नाशिक जिला गिरना सहकारी बैंक लिमिटेड,
नाशिक, महाराष्ट्र पर निदेश जारी किए

नाशिक जिला गिरना सहकारी बैंक, नाशिक, महाराष्ट्र को दिनांक 8 सितंबर 2015 के निदेश के माध्‍यम से 9 सितंबर 2015 की कारोबार समाप्ति से छह माह की अवधि के लिए निदेशाधीन रखा गया था। उपर्युक्त निदेशों की वैधता हमारे दिनांक 3 मार्च 2016 के संशोधित निदेश द्वारा छह माह के लिए और दिनांक 25 अगस्त 2016 के निदेश से छह माह के लिए बढ़ा दी गई थी।

आम जनता को यह सूचित किया जाता है कि नाशिक जिला गिरना सहकारी बैंक, नाशिक को 8 सितंबर 2015, 3 मार्च 2016 और 25 अगस्त 2016 को जारी निदेशों के पैरा 1(i) को 26 दिसंबर 2016 के निदेश के माध्यम से निम्नानुसार आंशिक रूप से संशोधित किया गया हैः

i. बैंक को मीयादी जमा के ज़रिए ऋण के समंजन की अनुमति दी जाती है “यदि उधारकर्ता के ऋण करार में यह प्रावधान है कि विशिष्‍ट जमा खाते में उपलब्‍ध राशि (चाहे नाम जो भी हो) को बैंक द्वारा उसके ऋण खाते के लिए विनियोजित/समायोजित किया जा सकता है, तो ऐसा विनियोजन/समायोजन ऋण खाते में उपलब्‍ध बकाया शेष राशि की सीमा तक निम्‍नलिखित अतिरिक्‍त शर्तों के आधार पर किया जा सकता है:

  1. समायोजन की तारीख के अनुसार खाते केवाईसी अनुपालित होने चाहिए।

  2. इसमें शामिल तृतीय पक्ष की जमाराशियां जो केवल गारंटीकर्ताओं/ जमानतदारों तक सीमित नहीं हैं, को समायोजित करने की अनुमति नहीं होगी।

  3. इस प्रकार के विकल्‍प के बारे में जमाकर्ता को अवगत कराना चाहिए और उसकी सहमति लेनी चाहिए ताकि ऋण खाते के समंजन में कोई देरी न हो सके और ऋण खाते को अनर्जक (एनपीए) होने से बचाया जा सके। मानक आस्तियों के समंजन (जिनकी चुकौती नियमित है) तथा ऋण करार के निबंधन व शर्तों से किसी प्रकार के विचलन की स्थिति में जमाकर्ता –उधारकर्ता से पूर्वानुमोदन प्राप्‍त करना जरूरी होगा।

  4. जमा राशि या उनके संमजन पर किसी प्रकार का प्रतिबंध न लगाया गया हो जैसे कुर्की आदेश / कानून या सांविधिक प्राधिकार / या अन्‍य किसी प्राधिकार से प्रतिबंधित आदेश जो विधि के अधीन हो, अग्रिम राशि जमा, न्‍यास दायित्‍व, तृतीय पार्टी लियन, राज्‍य सहकारी सोसाइटी अधिनियम आदि।

ii. बैंक अपनी ऋण और जमानती सीसी खाते की वर्तमान सीमा को और अन्‍य निदेशक से संबंधित ऋण की सीमा, यदि कोई हो, तो मौजूदा निबंधन व शर्तों के अनुसार नवीकरण कर सकता है।

उपर्युक्त संशोधन को अधिसूचित करने वाले दिनांक 26 दिसंबर 2016 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता की सूचना के लिए लगाई गई है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त आंशिक संशोधित करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति में मौलिक सुधार से संतुष्ट है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/1698

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