भारतीय रिज़र्व बैंक की विशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के साथ मुलाकात - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक की विशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के साथ मुलाकात
17 सितंबर 2004
भारतीय रिज़र्व बैंक की विशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के साथ मुलाकात
भारतीय रिज़र्व बैंक में आज अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के साथ एक बैठक आयोजित की गयी। डॉ. वाइ. वी. रेड्डी, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में श्रीमती के. जे. उदेशी, उप गवर्नर तथा श्रीमती श्यामला गोपीनाथ, कार्यपालक निदेशक तथा रिज़र्व बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे। अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों का प्रतिनिधित्व श्री सुब्रत रॉय, प्रबंध निदेशक, सहारा इंडियन फिनान्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, श्री एस. के. रॉय, पिअरलेस जनरल फाइनान्स एण्ड इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, श्री जी. जनार्दन रेड्डी, एनोबल सेविंग्ज एण्ड इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने किया। इससे पूर्व रिज़र्व बैंक ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और उनके उद्योग सहयोगियों और साथ ही साथ शहरी सहकारी बैंकों के साथ इसी तरह की बैठकें आयोजित की थीं।
अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों से आये सहभागियों ने रिज़र्व बैंक के अधिकारियों के साथ मुलाकात के इस अवसर की सराहना की और यह माना कि यह प्रयास अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों को दी जा रही महत्ता का परिचायक है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वे ऐसे क्षेत्रों और व्यक्तियों तक भी पहुंच रहे हैं जहां पर आमतौर पर वित्तीय प्रणाली नहीं जाती। उन्होंने आगे कहा कि अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियां बड़े पैमाने पर रोज़गार दिलाने के अलावा अर्थव्यवस्था के लिए संसाधन जुटाने में बहुत उपयोगी भूमिका अदा करती हैं। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि उनकी कार्यनिष्पादकता अच्छी रही है, हाल ही में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशो ने उनके कामकाज़ को मुश्किल बना दिया है।
उन्होंने जतलाया कि उनके विवेकशील निवेशों को सीमित कर देने से उनके अस्तित्व का खतरा पैदा हो जायेगा। अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों ने अन्य शर्तों, उदाहरण के लिए सरकारी प्रतिभूतियों में अतिरिक्त निवेश, एए+ और उससे ऊपर की रेटिंग वाली लोक वित्त संस्थाओं में एक्सपोज़र पर जोखिम भार, उनकी जमाराशि निधियों के हिस्से को इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंड निधियों में निवेश करने की अनुमति, एए+ से नीचे वाले ऋण विलेखों की रेटिंग के नीचे आ जाने के कारण पूंजी प्रभार आदि से जुड़े मुद्दों को भी उठाया।
गवर्नर महोदय ने सहभागियों द्वारा प्रस्तुत अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों द्वारा हासिल की गयी उपलब्धियों, उनकी मौजूदा भूमिका और उभरते हुए मुद्दों को नोट किया। उन्होंने विनियामक ढांचे को मज़बूत बनाने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा किये जा रहे सतत प्रयासों की व्याख्या की और इस संबंध में उन्होंने अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों की खास विशेषताओं, उदाहरण के लिए विधिवत् निहितार्थों के साथ बड़ी मात्रा में जमाराशियों, लगभग सभी जमाराशियों के दो अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों में जुड़ जाने के अनुपात, देश में अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों द्वारा जुटायी जानेवाली सभी सार्वजनिक जमाराशियों के एक बहुत बड़े हिस्से, और वित्तीय प्रणाली के तुलना में अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी क्षेत्र में सार्वजनिक जमाराशियों में बहुत अधिक वफ्द्धि दरों का उल्लेख किया। इनसे कड़ी निगरानी की ज़रूरत आ पड़ी है। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि हाल ही में जारी निदेशों के अनुपालन की राह सुगम बनाने के लिए इस संबंध में बैठक में दिये गये विभिन्न परिचालनगत सुझावों की रिज़र्व बैंक द्वारा जांच की जायेगी। उन्होंने आगे कहा कि यदि किसी भी किस्म के आशोधन की आवश्यकता पड़ी तो ऐसे निदेशों के मूल लक्ष्यों के अनुरूप गुणदोषों के आधार पर उन पर विचार किया जायेगा। उन्होंने आगे कहा कि वित्तीय प्रणाली में सुधार के लिए समूचे एजेंडा में कई पहलू जुड़े हुए हैं। अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के मामले में खास तौर पर उन्होंने पारदर्शिता, विशेष रूप से उधार देने के संबंध में, बोर्डों के व्यावसायिकरण सहित कार्पोरेट गवर्नेंस मानकों तथा यथोचित स्वीकार्यता के साथ बैंकों में मानकों को देखते हुए उचित और यथोचित को सुनिश्चित करना, एजेंटों को दलाली की बहुत ऊंची दरें दिये जाने से बचना, उनके कारोबार के अनुरूप लेकिन विनियामक की कड़ी निगरानी के अधीन अपने ग्राहक को जानिए नियमों का कड़ाई से पालन, फील्ड एजेंटों के साथ पहचान योग्य संपर्क के स्पष्ट संकेत के रूप में ग्राहक सेवा, विनियामक को संतुष्ट करने की ज़रूरत के मध्यस्थ एजेंसियों सहित जमाकर्ता तथा अवशिष्ट गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बीच लेनदेन के सभी स्तरों पर यथोचित प्रणालियां, अन्य संबंधित मामलों, जैसे दावा न की गयी जमाराशियां का पता लगाना आदि में सुधार की ज़रूरतों पर बल दिया। उन्होंने इस बात की सराहना की कि अवशिष्ट गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने यह आश्वासन दिया है कि वे रिज़र्व बैंक की संतुष्टि के अनुसार सभी परिचालन के मामले सुलझा लेंगे। गवर्नर महोदय ने अवशिष्ट गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के इस अनुरोध को भी नोट किया कि उनके विवेकशील निवेशों की उदारता से अनुमति दी जाए तथा इस तरह की उदारीवफ्त विवेकशील निवेशों के अनुमोदन के संबंध में क्रियाविधियों और साथ ही साथ विशेष दिशानिर्देशों को मानने के उनके प्रस्ताव का भी स्वागत किया।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/315