भारतीय रिज़र्व बैंक ने भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल (मध्य प्रदेश) को जारी निदेशों में संशोधन किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल (मध्य प्रदेश) को जारी निदेशों में संशोधन किया
22 मार्च 2016 भारतीय रिज़र्व बैंक ने भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भारतीय रिज़र्व बैंक ने भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल (मध्य प्रदेश) को जारी निदेशों में संशोधन किया है। उक्त बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथा प्रयोज्य) की धारा 35ए के अंतर्गत जारी, दिनांक 29 अक्टूबर 2012 के निदेश सं.यूबीडी.सीओ. बीएसडी.-II/डी-20/12.27.002/2012-13 के द्वारा 01 नवंबर 2012 से निदेशाधीन है। इन निदेशों की वैधता अवधि समय समय पर बढाई गई तथा पिछली बार छह माह के लिये दिनांक 01 नवंबर 2015 से 30 अप्रैल 2016 समीक्षाधीन बढ़ाई गई थी। इन निदेशों में उल्लिखित अन्य शर्तों के अधीन यह बैंक प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते में या किसी भी अन्य जमा खाते में, कुल शेष में से प्रत्येक जमाकर्ता को ₹1,000/- (एक हज़ार रुपए मात्र) तक की राशि आहरित करने की अनुमति दे सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने उक्त बैंक की वित्तीय स्थिति की समीक्षा की तथा जनहित में आवश्यक समझते हुए उक्त निदेशों में संशोधन किया है। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथा प्रयोज्य) की धारा 35 ए की उपधारा (1) एवं (2) के साथ पठित धारा 56 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल (मध्यप्रदेश) को जारी दिनांक 29 अक्टूबर 2012 के निदेश के पैरा सं 1(i) में निम्नानुसार संशोधन करने का निर्देश देता है:
यह संशोधन जमाकर्ताओं की कठिनाई को कम करने एवं अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उक्त निदेश में संशोधन का तात्पर्य उक्त बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार या गिरावट से नहीं लगाया जाना चाहिए। भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल को जारी दिनांक 29 अक्टूबर 2012 के निदेश में विहित अन्य सभी प्रतिबंध, शर्तें एवं प्रावधान यथावत रहेंगे। उक्त अधिसूचित निदेशों की प्रतियां जनता के सदस्यों के अवलोकनार्थ बैंक के परिसर में प्रदर्शित की गई हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2224 |