भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सूटेक्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सूटेक्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया
2 मई 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सूटेक्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 27 अप्रैल 2023 के आदेश द्वारा, दि सूटेक्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत (गुजरात) (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/संस्थाओं, जिसमें उनके हित हों, को ऋण और अग्रिम’ तथा 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा जमाराशियों को अन्य बैंकों में रखना' संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹10.00 लाख (दस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक का सांविधिक निरीक्षण भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया गया, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट तथा संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने (i) अपने एक निदेशक के रिश्तेदार को ऋण स्वीकृत किया और (ii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक (सकल) एक्सपोज़र मानदंड का उल्लंघन किया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के उपरोक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/159 |