रिज़र्व बैंक - समसामयिक पत्र – खंड 41, संख्या 2, 2020 - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक - समसामयिक पत्र – खंड 41, संख्या 2, 2020
11 जून 2021 रिज़र्व बैंक - समसामयिक पत्र – खंड 41, संख्या 2, 2020 आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने कर्मचारियों के योगदान से अपना समसामयिक पत्र – खंड 41, खंड 2, 2020 प्रकाशित किया। इस शोध-पत्र में चार लेख और दो पुस्तक समीक्षाएं हैं। लेख: 1. बैंक पूंजी विनियमों के समष्टि आर्थिक प्रभाव रणजॉय गुहा नियोगी और हरेंद्र बेहेरा ने ऋण प्रवाह और जीडीपी वृद्धि को प्रभावित करने में विनियामक बैंक पूंजी की भूमिका की जांच की। वे पाते हैं कि उच्च पूंजी बैंकों की जोखिम प्रीमियम और देयताओं की कुल लागत को कम करती है, जो बदले में ऋण वृद्धि को बढ़ाने में मदद करती है। जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में विनियामक पूंजी अनुपात (सीआरएआर) समष्टि विवेकपूर्ण उपाय (मैक्रो-प्रूडेंशियल टूल) की तरह काम करती है क्योंकि उच्च सीआरएआर सुरक्षित और कम जोखिम वाले ऋणों की ओर असुरक्षित उच्च जोखिम वाले ऋण से दूर बैंकों में ऋण पोर्टफोलियो पुनर्वितरण को सक्रीय करता है। 2. तमिलनाडु में शिक्षा ऋण एनपीए: मुद्दे और चुनौतियां इस लेख में, श्रोमोना गांगुली और दीपा एस. राज तमिलनाडु में शिक्षा ऋण में चूक के निर्धारकों का अध्ययन किया है। वे दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक निजी क्षेत्र के बैंक के लगभग दो लाख उधारकर्ताओं के खाता स्तर के डेटा का उपयोग, चूक के महत्वपूर्ण भविष्यवक्ता की पहचान करने के प्रयास में करते हैं। अनुभवजन्य विश्लेषण से पता चलता है कि उच्च ब्याज दर और कम अवधि वाले ऋण खातों में चूक की संभावना अधिक होती है, जबकि आधार की जानकारी, संपार्श्विक समर्थन या कुछ सब्सिडी तत्व वाले खातों में दिए गए ऋण में चूक का कम जोखिम होता है। 3. कोर मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान के लिए आर्थिक सुस्ती का एक वैकल्पिक उपाय सौरभ शर्मा और इप्सिता पाधी विभिन्न प्रकार के उच्च आवृत्ति संकेतकों का उपयोग करके आर्थिक सुस्ती का एक वैकल्पिक संकेतक प्रस्तावित करते हैं। लेखकों ने पाया कि अनुमानित सूचकांक समष्टि आर्थिक मांग की स्थितियों को कुशलता से कैप्चर करता है और अन्य पारंपरिक उपायों की तुलना में उच्च आवृत्ति पर भी उपलब्ध होता है, जिनकी गणना आमतौर पर जीडीपी डेटा पर सांख्यिकीय फ़िल्टर लागू करके की जाती है। पूर्वानुमान निष्पादन के संदर्भ में, अनुमानित सूचकांक अन्य उपायों की तुलना में कोर मुद्रास्फीति के बेहतर भविष्यवक्ता के रूप में उभरता है। 4. दीर्घकालिक बचत - भारत में निवेश संबंध बिचित्रानंद सेठ, कुणाल प्रियदर्शी और अवधेश कुमार शुक्ला ने फेल्डस्टीन-होरियोका पहेली, अर्थात सीमा पार पूंजी प्रवाह के लिए बढ़ते खुलेपन के बावजूद घरेलू बचत और निवेश दरों के बीच घनिष्ठ संबंध, जो अब भी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और उभरते बाजारों में पकड़ रखता है, पर फिर से विचार किया। अध्ययन में पाया गया है कि भारत में 1991 के बाद के सुधारों के बाद से बचत और निवेश दर के बीच संबंध कमजोर हुआ लेकिन 2007-08 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से यह मजबूत हुआ है। यह वैश्विक वित्तीय संकट के बाद निवेश गतिविधियों के वित्तपोषण में विदेशी प्रवाह के कम योगदान का सुझाव दे सकता है। अध्ययन के अनुभवजन्य परिणामों से संकेत मिलता है कि घरेलू बचत और निवेश के बीच स्थिर-स्थिति संबंधों से अल्पकालिक विचलन की स्थिति में, लगभग दो वर्षों में संतुलन बहाल हो जाता है। पुस्तक समीक्षा: रिज़र्व बैंक समसामयिक पत्रों के इस अंक में दो पुस्तक समीक्षाएं भी शामिल हैं: 1. रसमी रंजन बेहरा ने बेन एस बर्नानके, टिमोथी एफ. गेथनर और हेनरी एम. पॉलसन, जूनियर द्वारा लिखित पुस्तक "फायरफाइटिंग: द फाइनेंशियल क्राइसिस एंड इट्स लेसन" की समीक्षा की। यह पुस्तक 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट और इसके प्रबंधन के तरीके पर उत्कृष्ट वर्णन प्रदान करती है। लेखक भविष्य में होने वाले वित्तीय संकटों की निश्चितता पर चेतावनी देते हैं और नियामकों को मजबूत आपातकालीन समय नीति उपकरण प्रदान करके बेहतर तैयारी करने की सलाह देते हैं। 2. प्रियंका उप्रेती ने सीमा बथला, प्रमोद कुमार जोशी और अंजनी कुमार द्वारा लिखित पुस्तक "एग्रीकल्चरल ग्रोथ एंड रूरल पॉवर्टी रिडक्शन इन इंडिया" की समीक्षा की। पुस्तक ने कृषि में सार्वजनिक और निजी निवेश के बीच संबंधों को मापा है और कृषि उत्पादकता, आय और गरीबी उन्मूलन पर प्रभाव का आकलन किया है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/356 |