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भारतीय रिज़र्व बैंक - समसामयिक पत्र – खंड 45, संख्या 1, 2024

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक अपने समसामयिक पत्रों का खंड 45, संख्या 1, 2024  जारी किया, जो उसके स्टाफ-सदस्यों के योगदान द्वारा तैयार की गई एक शोध पत्रिका है। इस अंक में तीन आलेख और तीन पुस्तक समीक्षाएं हैं।  

आलेख:

1. भारत में परिवार बचत पोर्टफोलियो के निर्धारक: सर्वेक्षण डेटा से साक्ष्य
यह शोधपत्र परिवार-विशिष्ट निर्धारकों और समय-परिवर्तनशील समष्टि आर्थिक कारकों, दोनों का अध्ययन करके परिवार की बचत और निवेश व्यवहार का आकलन प्रस्तुत करता है। सीपीएचएस-सीएमआईई के 'एस्पिरेशनल इंडिया' डेटाबेस के आधार पर, मल्टीनोमियल लॉजिट मॉडल पर आधारित अर्थमितीय विश्लेषण से पता चलता है कि पारिवारिक आय में वृद्धि के साथ वित्तीय आस्तियों धारित करना  और एक अच्छी तरह से विविध पोर्टफोलियो बनाए रखने की संभावना बढ़ जाती है। यह पत्र बैंक शाखाओं की पहुंच के माध्यम से वित्तीय समावेशन द्वारा निभाई गई भूमिका, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक  बचत व्यवहार को प्रभावित करने को भी रेखांकित करता है, में। परिणाम बताते हैं कि कम बेरोजगारी दर से सभी वित्तीय आस्ति श्रेणियों में पारिवारिक   बचत की संभावना बढ़ जाती है।

2. बाहरी वित्त तक पहुंच और कंपनी के नवाचार से दक्षता लाभ: स्टोचैस्टिक फ्रंटियर और लेवबेल का दृष्टिकोण
यह पत्र, कंपनी की नवोन्मेषी गतिविधियों की दक्षता पर बाह्य वित्त तक पहुंच के प्रभाव की जांच करता है। ऋण संबंधी बाधाएं, उच्च लागत के कारण नवाचार को अव्यवहार्य बना सकती हैं तथा विद्यमान नवाचार से प्राप्त होने वाले लाभों को कम कर सकती हैं। परिणामों से पता चलता है कि तकनीकी दक्षता के संदर्भ में नवाचारों से लाभ तब अधिक होता है जब कंपनी  को अपनी अल्पकालिक कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए बाह्य वित्त तक पहुंच प्राप्त होती है। विश्लेषण से पता चलता है कि कार्यशील पूंजी के लिए बाह्य वित्त तक पहुंच, कुशल श्रमिकों, गैर-विनिर्माण श्रमिकों और प्रशिक्षण पर अधिक व्यय से जुड़ी है।

 3. भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र के स्वास्थ्य का आकलन: एक मशीन लर्निंग दृष्टिकोण
यह पत्र मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करते हुए कॉर्पोरेट्स के वित्तीय स्वास्थ्य का विश्लेषण करता है, तथा ब्याज कवरेज अनुपात (आईसीआर) और निवल मूल्य जैसे कई स्थापित मापदंडों के लिए अलग-अलग सीमाओं के साथ प्रयोग करता है। इस पेपर में आईसीआर और निवल मूल्य  को मिलाकर एक नया और अधिक कठोर मानदंड परिभाषित किया गया है, जो मॉडल के पूर्वानुमानात्मक निष्पादन को और बेहतर बनाता है। यह पेपर प्रमुख रूप से प्रयुक्त लॉजिस्टिक मॉडल की तुलना में मशीन लर्निंग (एमएल) मॉडल की श्रेष्ठता को रेखांकित करता है। परिवर्तनशील महत्व स्कोर से पता चलता है कि नकदी प्रवाह और उत्तोलन, संभावित कॉर्पोरेट तनाव के सबसे महत्वपूर्ण पूर्वानुमान हैं।

पुस्तक समीक्षाएँ:        
भारतीय रिज़र्व बैंक समसामयिक पत्र के इस अंक में तीन पुस्तक समीक्षाएँ भी शामिल हैं:

1.संदीप कौर ने एडमंड फेल्प्स द्वारा लिखित पुस्तक “माई जर्नीज़ इन इकोनॉमिक थ्योरी” की समीक्षा की है। यह पुस्तक एक आकर्षक संस्मरण प्रस्तुत करती है, जो न केवल लेखक के बौद्धिक विकास पर प्रकाश डालती है, बल्कि समकालीन आर्थिक चिंतन को आकार देने वाली व्यापक बहसों पर भी प्रकाश डालती है। फेल्प्स की आकर्षक कथा तकनीकी विवरणों से आगे बढ़ती है, तथा बेरोजगारी सिद्धांत, गतिशीलता और स्वदेशी नवाचार आदि के उनके नवीन विचारों के इर्द-गिर्द हुए ज्ञानपूर्ण आदान-प्रदान और जीवंत बहसों की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

2.शुभम पटले ने अर्नेस्ट स्काइडर द्वारा लिखित पुस्तक “द वॉर बिलो” की समीक्षा की है। यह पुस्तक लिथियम और तांबे जैसी महत्वपूर्ण धातुओं के निष्कर्षण से जुड़े जटिल और परस्पर विरोधी हितों पर प्रकाश डालती है, जिन्हें विद्युतीकरण की ओर वैश्विक बदलाव के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। विभिन्न खनन स्थलों की पृष्ठभूमि में, पुस्तक में इन खनन प्रक्रियाओं से जुड़ी पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है। वास्तविक दुनिया के उदाहरणों के माध्यम से, यह पुस्तक पारिस्थितिक संरक्षण और टिकाऊ ऊर्जा संसाधनों की तत्काल आवश्यकता के बीच कठिन संतुलन को दर्शाती है।

3. आकाश राज ने एम. गोविंदा राव की पुस्तक "स्टडीज इन इंडियन पब्लिक फाइनेंस" की समीक्षा की है, जिसमें भारत के समष्टि आर्थिक प्रबंधन में सार्वजनिक वित्त के विकास का अन्वेषण किया गया है। यह पुस्तक सैद्धांतिक दृष्टिकोणों को अनुभवजन्य आंकड़ों के साथ जोड़ती है, तथा भारत में सार्वजनिक वित्त के विकास और वर्तमान स्थिति के साथ-साथ संभावित सुधारों के लिए भविष्य की दिशा का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करती है।

 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1822

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