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भारतीय रिज़र्व बैंक ने केवाईसी मानदंडों का उल्लंघन करने पर 13 बैंकों को दंडित किया

27 जुलाई 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने केवाईसी मानदंडों का उल्लंघन करने पर 13 बैंकों को दंडित किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ केवाईसी मानदंडों पर विनियामकों निदेशों/अनुदेशों/दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए निम्नलिखित बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाया है। दंड के ब्यौरे निम्नानुसार हैं:

क्र.सं. बैंक का नाम दंड की राशि (मिलियन रु. में)
1. इलाहाबाद बैंक 20
2. बैंक ऑफ इंडिया 10
3. बैंक ऑफ बड़ौदा 50
4. कैनरा बैंक 20
5. कॉर्पोरेशन बैंक 10
6. एचडीएफसी बैंक 20
7. इंडसइंड बैंक 20
8. पंजाब नेशनल बैंक 30
9. आरबीएल बैंक 10
10. एसबीबीजे 20
11. एसबीएम 10
12. सिंडिकेट बैंक 30
13. यूको बैंक 20

आठ अन्य बैंक नामतः एक्सिस बैंक, फेडरल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, ओबीसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, एसबीआई और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को सूचित किया गया है कि वे उचित उपाय करें और समय-समय पर उनकी समीक्षा करें जिससे कि चालू आधार पर केवाईसी अपेक्षाओं और फेमा प्रावधानों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47(ए)(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों/निदेशों/दिशानिर्देशों के उल्लंघन को ध्यान में रखते हुए उक्त दंड लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों के आधार पर की गई है और इसका इरादा बैंक और इसके ग्राहकों द्वारा किए गए किसी लेनदेन या करार की वैधता पर अपना मत देना नहीं है।

पृष्ठभूमि

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक से प्राप्त इनपुटों के आधार पर रिज़र्व बैंक ने अक्टूबर/नवंबर 2015 में 21 बैंकों में अग्रिम आयात विप्रेषणों की संवीक्षा की थी। संवीक्षा में खाते खोलने और उनकी निगरानी करने में आरोपित अनियमितताओं की जांच की गई जिसमें फेमा प्रावधानों का उल्लंघन भी शामिल था। इसमें केवाईसी मानदंडों/एएमएल मानकों के कार्यान्वयन की प्रणालियों और प्रक्रियाओं की प्रभावक्षमता की भी जांच की। निष्कर्षों में आंतरिक नियंत्रण प्रणालियों, प्रबंध निगरानी में कमियां और रिज़र्व बैंक द्वारा जारी कुछ विनियामकीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन का पता चला जिनका ब्यौरा नीचे दिया गया हैः

  • ग्राहक पहचान और जाखिम श्रेणीकरण जैसी केवाई अपेक्षाओं का पालन नहीं करना

  • ग्राहक खातों में लेनदेन की निगरानी और एसटीआर को तत्काल फाइल करने संबंधी रिज़र्व बैंक के अनुदेशों का पालन नहीं करना

  • फेमा के प्रावधानों के अंतर्गत जारी निदेशों/दिशानिर्देशों का पालन नहीं करना

निष्कर्षों के आधार पर रिज़र्व बैंक ने 21 बैंकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। उनके जवाबों, प्रत्येक मामले के तथ्यों तथा व्यक्तिगत सुनवाई, प्रस्तुत सूचना और दस्तावेजों पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि कुछ गंभीर प्रकृति के उल्लंघन किए गए हैं और तेरह बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाना आवश्यक हो गया है क्योंकि इन बैंकों की ओर से समय पर समाधान उपाय नहीं करने से उल्लंघनों और इसके प्रभाव की गंभीरता बढ़ गई थी।

आठ अन्य बैंकों जिनका ब्यौरा ऊपर दिया गया है, के संबंध में लिखित और मौखिक सुनवाई के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि उन्हें उचित उपाय करने के लिए सूचित किया जाए और समय-समय पर इसकी समीक्षा की जाए जिससे कि निरंतर आधार पर केवाईसी/एएमएल अपेक्षाओं और फेमा प्रावधानों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

अनिरुद्ध डी. जाधव
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/241

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