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रिज़र्व बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों की खुदरा बिक्री और इलैक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के लिए रास्ता खोला

रिज़र्व बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों की खुदरा बिक्री और
इलैक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के लिए रास्ता खोला

15 दिसंबर 2001

निगोशिएटेड डीलिंग सिस्टम (एनडीएस) 15 जनवरी 2002 से शुरू हो जायेगी। इस प्रणाली को लागू करने की शुरुआत में एनएसडी के सदस्यों को यह अनुमति दी जायेगी कि वे चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत पुनर्खरीद/प्रत्यावर्तनीय पुनर्खरीद के लिए अपनी बोलियां इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुत कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, इस तारीख से एनडीएस सदस्यों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दैनिक रूप से की जानेवाली एलएएफ नीलामियों के लिए अपनी बोलियां/आवेदन पत्र भौतिक रूप से प्रस्तुत नहीं करने होंगे। आज बैंकों तथा प्राथमिक व्यापारियों ने खज़ाना प्रमुखों की बैठक में यह घोषणा की गयी। यह बैठक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभ्ूातियों में हाल ही में घोषित गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों के बारे में सभी बैंकों तथा प्राथमिक व्यापारियों के खज़ाना प्रमुखों को परिचय कराने के लिए अायोजित की गयी थी।

सरकारी प्रतिभूतियों में गैर-स्पर्धी बोलियां लगाने की सुविधा एक ऐसा पहला उपाय है जो हाल में भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय प्रतिभूति बाज़ार को और अधिक फैलाव तथा विविधता देने के लिए अपनाया है। इस योजना के अंतर्गत छोटे निवेशकों को यह सुविधा होगी कि वे कट-ऑफ मूल्य अथवा प्रतिफल का उल्लेख किये बिना बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के माध्यम से अपनी बोलियां प्रस्तुत कर सकेंगे। इसलिए उन्हें इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं होगी की उनकी बोलियां मार्क पर हैं या उससे परे हैंे और क्या उनकी बोलियां स्वीकृत हो रही हैं या अस्वीकृत हो रही हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत सरकार प्रतिभूतियों की विशिष्ट नीलामियों में अधिसूचित राशि के 5 प्रतिशत तक गैर-प्रतिस्पर्धी बोली कर्ताओं के लिए सुरक्षित रखेगा। बीच के (मिड सेग्मेंट) सहभागी, उदाहरण के लिए गैर-बैंकिंग व्िात्तीय कंपनियां, शहरी सहकारी बैंक, भविष्य निधियां आदि इस योजना से लाभान्वित होनेवालों में से होंगे।

सहभागियों को संबोधित करते हुए डॉ. वाइ. वी. रेड्डी, उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह उल्लेख किया कि भारत का ऋण बाज़ार डेढ वर्ष के भीतर सभी अंतर्राष्ट्रीय बेहतरीन व्यवहार एवं इससे जुड़ी प्रौद्योगिकी को अपना लेगा। उन्होंने कहा कि एनडीएस तथा भारत सरकार प्रतिभूति बाज़ार का विविधिकरण इस दिशा में नये प्रयास हैं। आज एनडीएस में 11 सदस्य हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य सहभागियों को भी यह आश्वासन दिया है कि एनडीएस की सदस्यता के लिए अपेक्षित सभी अनुमतियां उन सभी व्यक्तियों को उपलब्ध करायी जायेंगी जो सदस्यता के लिए जल्दी ही आवेदन करते हैं ताकि वे शीघ्र ही एनडीएस के सदस्य बन सकें।

एनडीएस से जुड़े सदस्यों को इस बात की अनुमति देना कि वे अपनी बोलियां इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुत कर सकें, मुद्रा तथा सरकारी प्रतिभूति बाज़ार में लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक फ्लेटफॉर्म की ओर जाने की दिशा में पहला प्रयास है। एलएएफ के लिए बोलियां/आवेदन पत्र प्रस्तुत करने से शुरू करते हुए एनडीएस इस दिशा में कार्य करेगा कि सरकारी प्रतिभूतियों को प्राथमिक रूप से जारी करने के लिए सदस्यों द्वारा बोलियों/आवेदन पत्रों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुत करने की सुविधा दी जा सके। सदस्यों के बीच हुए लेनदेनों के लिए भौतिक रूप से एसजीएल अंतरण फार्म प्रस्तुत करने की प्रणाली एनडीएस को पूरी तरह से लागू करने के साथ अंतत: समाप्त कर दी जायेगी। एनडीएस, भारतीय रिज़र्व बैंक के लोक ऋण कार्यालय के प्रतिभूति समायोजन प्रणाली के लिए भी इंटरफेस उपलब्ध करायेगा। इस्ासे खज़ाना बिलों, जिसमें आउटराइट तथा पुनर्खरीद शामिल हैं, सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के समायोजन की सुविधा हो सकेगी।

एनडीएस पर तथा सरकारी प्रतिभूतियों में गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों के लिए योजना के लिए और अधिक ब्यौरों के लिए कृपया भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (

www.rbi.org.in ) पर र्इींैं देखें।

पी. वी. सदानंदन
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2001-2002/698

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