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भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि सरल बनाने के उपायों को दुबारा लागू किया

9 नवंबर 2010

भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि सरल बनाने के उपायों को दुबारा लागू किया

पिछले सप्ताह घोषित मौद्रिक नीति, 2010-11 की दूसरी तिमाही समीक्षा में भारतीय रिज़र्व बैंक ने कहा था कि "यद्यपि चलनिधि में कमी मुद्रास्फीति विरोधी रुझान के अनुरूप है, चलनिधि में अत्यधिक कमी वित्तीय बाज़ारों तथा बैंकिंग प्रणाली में ऋण वृद्धि दोनों के लिए अवरोधक है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चलनिधि बाध्यताओं द्वारा आर्थिक गतिविधि में अवरोध उत्पन्न न हो, चलनिधि की कमी को एक औचित्यपूर्ण सीमा के भीतर रोक रखने की जरुरत है।"

हाल की अवधि में रिज़र्व बैंक ने चलनिधि दबाव से बचने के लिए खुले बाज़ार परिचालन (ओएमओ) सहित कई उपाय किए हैं। तो भी चलनिधि दबाव जारी है, जो सरकारी नकदी शेष और अन्य अस्थायी चलनिधि माँग में प्रतिबिंबित है। उदाहरण के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा औसत आधार पर अपनी चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) विण्डो के माध्यम से डाली गई चलनिधि 8-9 नवंबर 2010 के दौरान लगभग 1,13,000 करोड़ थी। तदनुसार, मौद्रिक नीति की 2 नवंबर 2010 को दूसरी तिमाही समीक्षा में निर्धारित रुझान के अनुरूप तथा उत्पन्न अस्थायी चलनिधि दबाव को चलनिधि सुविधा उपलब्ध कराने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि तथ्काल प्रभाव से निम्नलिखित अस्थायी उपाय लागू किए जाएं:

  • दैनिक आधार पर 16 दिसंबर 2010 तक अपराहन 4.00 बजे एक विशेष द्वितीय चलनिधि समायोजन सुविधा (एसएलएएफ) आयोजित की जाए।

  • अनुसूचित वाणिज्य बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत अपनी निवल माँग और मीयादी देयताओं के 1.0 प्रतिशत तक अतिरिक्त चलनिधि सहायता द्वितीय पूर्ववर्ती पखवाड़े के रिपोर्टिंग शुक्रवार को प्राप्त कर सकते हैं। 9 नवंबर - 16 दिसंबर 2010 के दौरान इस सुविधा के उपभोग से उत्पन्न सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखने में किसी भी कमी के लिए बैंक एक अस्थायी तदर्थ उपाय के रूप में दण्डात्मक ब्याज से छूट प्राप्त कर सकते हैं।

उपर्युक्त उपाय शुद्ध रूप से तदर्थ, अस्थायी हैं तथा 16 दिसंबर 2010 तक लागू रहेंगे।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/647

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