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भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि प्रबंधन के लिए आरक्षित नकदी निधि अनुपात को घटाया

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6 अक्टूबर 2008

भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि प्रबंधन के लिए
आरक्षित नकदी निधि अनुपात को घटाया

आपको यह ज्ञात होगा कि रिज़र्व बैंक ने 16 सितंबर 2008 को विश् की कुछ बड़ी वित्तीय संस्थाओं के दिवालिया हो जाने/बिक्रय किए जाने/पुनर्संरचना के परिणामस्वरूप बाह्य गतिविधियों से आए घरेलू वित्तीय बाज़ारों पर दबाव को कम करने के लिए विभिन्न उपायों की घोषणा की थी। तब से संकट में आए वित्तीय संस्थाओं की संख्या के बढ़ने, शेयर बाज़ार कमज़ोर होने और मुद्रा बाज़ार में सख्ती के साथ वैश्क वित्तीय वातावरण में भारी कमी आयी। विश् भर के केंद्रीय बैंकों ने समेकित कार्रवाई सहित अपने चलनिधि परिचालनों को बढ़ा दिया है और कुछ ने वित्तीय स्टॉक की मंदड़िया बिक्री पर प्रतिबंध लगाया/सीमित कर दिया। इन नई गतिविधयों से उतार-चढ़ाव में बढ़ोतरी और बाज़ार चलनिधि में अत्यधिक कमी से घरेलू मुद्रा और विदेशी मुद्रा बाज़ार पर प्रभाव पड़ा है जो ओवर-नाइट ब्याज दरों की जारी और चलनिधि समायोजन सुविधा की उच्चतर सुविधा से प्रतिबिंबित होता है।

वैश्व और घरेलू गतिविधयों के संदर्भ में वर्तमान चलनिधि की स्थिति की समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया कि 11 अक्तूबर 2008 को शुरू होनेवाले पखवाड़े से आरक्षित नकदी निधि अनुपात को अपनी निवल माँग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 9.0 प्रतिशत के वर्तमान स्तर से 50 आधार बिंदु से घटाते हुए उसे 8.5 प्रतिशत किया जाए। आरक्षित नकदी निधि अनुपात में इस कटौती के परिणामस्वरूप लगभग 20,000 करोड़ रुपए की राशि प्रणाली में डाली जाएगी। यह उपाय अस्थायी स्वरूप का है और उभरती चलनिधि परिस्थितियों के कारण निरंतर आधार पर इसकी समीक्षा की जाएगी।

सक्रिय चलनिधि प्रबंध मौद्रिक नीति के वर्तमान रूझान का मुख्य तत्त्व है। लिखतों के संयुक्त रूप से एक लचीले उपयोग के माध्यम से चलनिधि अनुकूलन में अत्यधिक बाज़ार दबावों के अवशोषण और बढ़ी हुई अनिश्चितता के वातावरण, वैश्व बाज़ारों में अस्थिरता तथा घरेलू इक्विटी और मुद्रा बाज़ारों पर संभावित प्रभावों के खतरों की दृष्टि से व्यवस्थित स्थितियाँ सुनिश्चित करने के लिए चलनिधि प्रबंध को आगे आनेवाली अवधि के दौरान नीति उद्देश्यों के अनुक्रम में प्राथमिकता देना जारी रहेगा। रिज़र्व बैंक जब और जैसी स्थिति होगी बाज़ार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) और चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) सहित अपने स्तर पर लचीले निपटान के साथ सभी नीति लिखतों का उपयोग करते हुए आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) निर्धारणों और खुले बाज़ार परिचालनों (ओएमओ) के समुचित उपयोग के माध्यम से चलनिधि की सक्रिय माँग प्रबंध की अपनी नीति को जारी रखेगा।

वर्ष 2008-09 में वृद्धि की गति को जारी रखने के अनुकूल रखते हुए मौद्रिक नीति के समग्र रूझान को मूल्य स्थिरता, सुव्यवस्थित मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं और वित्तीय बाज़ारों में व्यवस्थित स्थितियों को वार्षिक नीति वक्तव्य में यथानिर्धारित और जुलाई 2008 की पहली तिमाही समीक्षा में उन्हें पुन: दुहराए जाते हुए सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2008-2009/447

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