27 दिसंबर 2019 रिज़र्व बैंक ने दिसंबर 2019 वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की भारतीय रिजर्व बैंक ने आज वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) का 20वां अंक जारी किया। वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिमों और वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन पर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाता है। रिपोर्ट में वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई है। प्रणालीगत जोखिमों का समग्र आकलन भारत की वित्तीय प्रणाली घरेलू संवृद्धि में मंदी के बावजूद स्थिर बनी हुई है; सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के पुनर्पूंजीकरण के बाद बैंकिंग क्षेत्र के लचीलेपन में सुधार हुआ है। हालांकि वैश्विक/घरेलू आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले जोखिम बने हुए हैं। वैश्विक और घरेलू समष्टि-वित्तीय जोखिम
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वैश्विक अर्थव्यवस्था ने कई अनिश्चितताओं जैसे ब्रेक्सिट सौदे में देरी, व्यापार तनाव, एक आसन्न मंदी की भावना, तेल-बाजार में व्यवधान और भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण विकास में महत्वपूर्ण मंदी देखी गई। इन अनिश्चितताओं ने उपभोक्ता विश्वास और व्यापार मनोभावों को प्रभावित किया, निवेश के इरादे को कमज़ोर कर दिया और जब तक कि इन अनिश्चितताओं का ठीक से निपटान नहीं किया जाता है, वैश्विक विकास पर इनका एक महत्वपूर्ण दबाव बने रहने की संभावना है।
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घरेलू अर्थव्यवस्था के संबंध में 2019-20 की दूसरी तिमाही में सकल मांग में कमी आई, जिसने संवृद्धि में मंदी को बढ़ावा मिला। जबकि पूंजी अंतर्वाह की संभावनाएं सकारात्मक बनी हुई है, भारत के निर्यात को निरंतर वैश्विक मंदी की स्थिति में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन चालू खाता घाटा कमजोर ऊर्जा मूल्य संभावनाओं के कारण नियंत्रण में रहने की संभावना है।
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वैश्विक वित्तीय बाजारों से स्पिलओवर के बारे में सतर्कता बरतते हुए खपत और निवेश के जुड़वां इंजनों को पुनर्जीवित करना भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
वित्तीय संस्थान: कार्यनिष्पादन और जोखिम
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अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की ऋण वृद्धि सितंबर 2019 में वर्ष-दर-वर्ष (वाई-ओ-वाई) आधार पर 8.7 प्रतिशत बनी रही, हालांकि निजी क्षेत्र के बैंकों (पीवीबी) ने दोहरे अंक में अर्थात् 16.5 प्रतिशत की ऋण वृद्धि दर्ज की।
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सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के पुनर्पूंजीकरण के बाद एससीबी के पूंजी पर्याप्तता अनुपात में काफी सुधार हुआ।
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मार्च और सितंबर 2019 के बीच एससीबी का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 9.3 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहा।
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सभी एससीबी का प्रोविजन कवरेज अनुपात (पीसीआर) मार्च 2019 में 60.5 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2019 में 61.5 प्रतिशत हो गया, जो बैंकिंग क्षेत्र के लचीलेपन में वृद्धि दर्शाता है।
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ऋण जोखिम के लिए समष्टि-दबाव परीक्षण बताते हैं कि आधारभूत परिदृश्य के अनुसार एससीबी का जीएनपीए अनुपात मुख्य रूप से समष्टि आर्थिक परिदृश्य में बदलाव, स्लिपेज में मामूली वृद्धि और घटती हुई ऋण वृद्धि के बढ़ते प्रभाव के कारण सितंबर 2019 में 9.3 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2020 तक 9.9 प्रतिशत हो सकता है।
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नेटवर्क विश्लेषण के अनुसार, वित्तीय प्रणाली में संस्थाओं के बीच कुल द्विपक्षीय जोखिम में सितंबर 2019 को समाप्त तिमाही में मामूली गिरावट दर्ज की गई। सभी मध्यवर्ती संस्थाओं के बीच निजी क्षेत्र के बैंकों (पीवीबी) ने वित्तीय प्रणाली में अपनी देयराशियों में वर्ष-दर-वर्ष सबसे अधिक वृद्धि देखी, जबकि बीमा कंपनियों ने वित्तीय प्रणाली से प्राप्त राशियों में वर्ष-दर-वर्ष सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की। वित्तीय बिचौलियों के बीच वाणिज्यिक पत्र (सीपी) वित्तपोषण में पिछली चार तिमाहियों में गिरावट जारी रही।
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सितंबर 2019 के अंत में कुल बैंकिंग क्षेत्र की परिसंपत्ति के 4 प्रतिशत से कम अंतर-बैंक परिसंपत्तियों के साथ अंतर-बैंक बाजार का आकार सिकुड़ता रहा। इस सिकुड़न ने पीएसबी के बेहतर पूंजीकरण के साथ-साथ बैंक/ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी(एनबीएफसी)/हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (एचएफसी) की विशिष्ट विफलता और वृहद आर्थिक संकट से संबंधित विभिन्न परिदृश्यों के तहत मार्च 2019 की तुलना में बैंकिंग प्रणाली में संक्रामक नुकसान में कमी ला दी।
वित्तीय क्षेत्र: विनियमन और विकास
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रिज़र्व बैंक ने दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान और भुगतान की आधारिक संरचना के विकास हेतु एनबीएफसी के लिए चलनिधि प्रबंधन व्यवस्था शुरू करने, बैंकों की अभिशासन संस्कृति में सुधार लाने हेतु नीतिगत उपाय आरंभ किए हैं ।
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रिज़र्व बैंक ने ऑफशोर रुपया बाजार पर कार्य दल की कुछ प्रमुख सिफारिशों जैसे घरेलू बैंकों को गैर-निवासियों को स्वतंत्र रूप से विदेशी मुद्रा की कीमतों की अनुमति देना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफ़एससी) में रुपये डेरिवेटिव (विदेशी मुद्रा में निपटान के साथ) कारोबार की अनुमति देना को स्वीकार कर लिया है ।
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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वित्तीय बाजारों को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें तरल निधियों का संशोधित जोखिम प्रबंध ढांचा, निवेश के लिए संशोधित मानदंड और म्यूचुअल फंडों (एमएफ) द्वारा मुद्रा बाजार और ऋण प्रतिभूतियों का मूल्यांकन, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (सीआरए) के लिए संशोधित मानदंड, नए पण्य डेरिवेटिव उत्पादों की सुविधा और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों पर संस्थागत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (आईटीपी) स्थापित करना शामिल है।
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भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान में लगातार प्रगति कर रहा है।
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भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने इन्श्युअरटेक के विकास और बीमा कंपनियों की कॉर्पोरेट प्रशासन प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए पहल की है।
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पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफ़आरडीए) पेंशन नेट के तहत अधिक नागरिकों को लाने की प्रक्रिया में है।
(योगेश दयाल) मुख्य महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1530 |