रिज़र्व बैंक ने सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए "गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और मूल निवेश कंपनियों के लिए चलनिधि जोखिम प्रबंधन फ्रेमवर्क" पर मसौदा परिपत्र जारी किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए "गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और मूल निवेश कंपनियों के लिए चलनिधि जोखिम प्रबंधन फ्रेमवर्क" पर मसौदा परिपत्र जारी किया
24 मई, 2019 रिज़र्व बैंक ने सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए "गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और मूल निवेश कंपनियों के गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफ़सी) देश की वित्तीय प्रणाली में, विशेष रूप से रिटेल के साथ-साथ एमएसएमई क्षेत्र को अंतिम समय में ऋण प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एनबीएफसी को अपनी भूमिका प्रभावी ढंग और कुशलता से निभाने की आवश्यकता है, जिसके लिए उन्हें वित्तीय रूप से लचीला, अच्छी तरह से विनियमित और उचित रूप से नियंत्रित होना चाहिए ताकि वे अपने ऋणदाताओं और उधारकर्ताओं सहित अपने सभी हितधारकों का विश्वास बनाए रख सके। रिज़र्व बैंक ने हमेशा इन उद्देश्यों के अनुरूप एक विनियामक संरचना प्रदान करने और उसे संशोधित करने का प्रयास किया है। इस संदर्भ में, एनबीएफसी क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम का विश्लेषण एनबीएफसी में एक मजबूत आस्ति देयता प्रबंधन (एएलएम) फ्रेमवर्क की आवश्यकता की ओर इशारा करता है । उपरोक्त पृष्ठभूमि में, रिज़र्व बैंक ने आज, अपनी वेबसाइट पर, "गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) और मूल निवेश कंपनियों (सीआईसी) के लिए चलनिधि जोखिम प्रबंधन फ्रेमवर्क" पर एक मसौदा परिपत्र रखा है, जिसे सभी जमा स्वीकार करने वाले एनबीएफ़सी, ₹100 करोड़ और उससे अधिक के आस्ति आकार वाले जमा न स्वीकार करने वाले एनबीएफ़सी और रिज़र्व बैंक के साथ पंजीकृत सभी सीआईसी द्वारा अपनाया जाएगा। यद्यपि एएलएम फ्रेमवर्क पर एनबीएफ़सी के लिए लागू कुछ मौजूदा विनियामक निदेश अपडेट/ पुनर्गठित किए गए हैं, उसमें कुछ नई सुविधाएँ भी जोड़ी गई हैं। अन्य बातों के साथ साथ, मसौदा दिशानिर्देशों में जेनेरिक एएलएम सिद्धांतों को लागू करना, चलनिधि विवरणों और छूट की सीमाओं में ग्रेनुलर परिपक्वता बकेट, चलनिधि जोखिम निगरानी उपकरण और चलनिधि के लिए "स्टॉक" दृष्टिकोण अपनाने को कवर किया गया है। इसके अतिरिक्त, मसौदे में जमा स्वीकार करने वाले सभी एनबीएफ़सी; और ₹5000 करोड़ और उससे अधिक के आस्ति आकार वाले जमा न स्वीकार करने वाले एनबीएफ़सी के लिए चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) शुरू करने का प्रस्ताव है। एलसीआर व्यवस्था के लिए एक सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, प्रस्ताव यह है कि इसे अप्रैल 2020 से शुरू करके अप्रैल 2024 तक के चार वर्षों की अवधि के लिए उड़ान पथ के माध्यम से नपे-तुले (कैलिब्रेटेड) तरीके से लागू किया जाए। कहने की आवश्यकता नहीं है, रिज़र्व बैंक एक मजबूत, जीवंत और अच्छी तरह से कार्य करने वाले एनबीएफसी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। रिज़र्व बैंक अंतिम दिशानिर्देश जारी करने से पहले विचार के लिए मसौदा फ्रेमवर्क पर सार्वजनिक टिप्पणियां चाहता है। एनबीएफ़सी, विपणन भागीदार और अन्य शेयरधारकों की प्रतिक्रियाएं 14 जून, 2019 तक निम्न पते पर भेजी जा सकती हैं मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा ईमेल द्वारा “फीडबैक- एनबीएफ़सी और सीआईसी के लिए ड्राफ्ट चलनिधि जोखिम प्रबंधन फ्रेमवर्क” विषय से भेजी जा सकती हैं। योगेश दयाल प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/2767 |