भारतीय रिज़र्व बैंक ने जारी किए लघुवित्त बैंकों की लाइसेंसिंग के दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने जारी किए लघुवित्त बैंकों की लाइसेंसिंग के दिशानिर्देश
27 नवंबर 2014 भारतीय रिज़र्व बैंक ने जारी किए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने आज अपनी वेबसाइट पर लघु वित्त बैंकों की लाइसेंसिंग के दिशानिर्देश जारी किए। भुगतान बैंकों संबंधी दिशानिर्देशों की प्रमुख विशेषताएं निम्नानुसार हैं : i) उद्देश्य : वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने हेतु (i) बचत माध्यमों का प्रावधान कराना, और (ii) छोटी कारोबारी इकाइयों; छोटे व सीमांत किसानों; सूक्ष्म और लघु उद्योगों; तथा असंगठित क्षेत्र की अन्य संस्थाओं को उच्च प्रौद्योगिकी-कम लागत के परिचालनों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराना लघु वित्त बैंकों की स्थापना के उद्देश्य होंगे। ii) पात्र प्रवर्तक : बैंकिंग और वित्त में 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले निवासी व्यक्ति/व्यवसायी; तथा निवासियों के स्वामित्वाधीन कंपनियां एवं सोसाइटियां लघु वित्त बैंक स्थापित करने के लिए पात्र होंगी। मौजूदा ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थाएं (एमएफआई) और स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी) लघु वित्त बैंकों के रूप में परिवर्तित होने का विकल्प चुन सकते हैं, जो निवासियों के स्वामित्व व नियंत्रणाधीन हों। लघु वित्त बैंकों का प्रवर्तन करने हेतु ऐसे प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह ‘योग्य और समुचित’ रूप से पात्र होंगे जो व्यावसायिक अनुभव का सुदृढ़ रिकार्ड रखते हों या जिन्होंने कम-से-कम पांच वर्ष की अवधि के लिए कारोबार चलाया हो। iii) गतिविधियों का दायरा :
iv) पूंजी अपेक्षा : लघु वित्त बैंकों के लिए न्यूनतम चुकता इक्विटी पूंजी 100 करोड़ रुपये होगी। v) प्रवर्तक का अंशदान : ऐसे लघु वित्त बैंक की चुकता इक्विटी पूंजी में प्रवर्तक का हिस्सा कम-से-कम 40 प्रतिशत होगा तथा इस बैंक के कारोबार की शुरुआत की तारीख से 12 वर्ष के भीतर इसे 26 प्रतिशत तक लाया जाएगा। vi) विदेशी शेयरधारिता : लघु वित्त बैंक में विदेशी शेयरधारिता निजी क्षेत्र से संबंधित समय-समय पर यथासंशोधित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के अनुरूप होगी। vii) विवेकपूर्ण मानदंड :
viii) संक्रमण पथ : यदि लघु वित्त बैंक एक सार्वभौमिक बैंक के रूप में अंतरित होना चाहे तो ऐसा अंतरण स्वत: नहीं होगा, बल्कि इसके लिए उसे सार्वभौमिक बैंकों पर लागू न्यूनतम चुकता पूंजी/निवल मालियत संबंधी अपेक्षाओं को पूरा करना होगा; एक लघु वित्त बैंक के रूप में उसका पिछला कार्य-निष्पादन संतोषजनक हो तथा रिज़र्व बैंक की समुचित सावधानी प्रक्रिया पर संतोषजनक सिद्ध होना होगा। ix) आवेदन की प्रक्रिया: बैंककारी विनियमन (कंपनियां) नियमावली, 1949 के नियम 11 के अनुसार विनिर्दिष्ट फार्म (फार्म III) में आवेदन पत्र भरकर मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, 13वीं मंजि़ल, केंद्रीय कार्यालय भवन, मुंबई-400001 को भेजा जाए। इसके अलावा, आवेदकों को अपनी कारोबारी योजना और अन्य अपेक्षित सूचना विनिर्दिष्ट रूप से भेजनी होगी। आवेदन पत्र 16 जनवरी 2015 को कार्य समय की समाप्ति तक स्वीकृत किए जाएंगे। लघु वित्त बैंक के कार्य में अनुभव हासिल करने के बाद आवेदन पत्रों को निरंतर आधार पर स्वीकृत किया जाएगा। तथापि, ये दिशानिर्देश आवधिक समीक्षा और संशोधन के अधीन होंगे। x) भारतीय रिज़र्व बैंक की निर्णय-प्रक्रिया:
पृष्ठिभूमि यह स्मरण होगा कि माननीय वित्त मंत्री ने 10 जुलाई 2014 को केंद्रीय बजट 2014-2015 प्रस्तुत करते हुए यह घोषित किया कि : “मौजूदा ढांचे में उपयुक्त परिवर्तन करने के बाद वर्तमान वित्त वर्ष में निजी सेक्टर में सार्वभौमिक बैंकों को सतत् प्राधिकार देने के लिए एक ढांचा तैयार किया जाएगा। छोटे बैंकों और अन्य विशिष्ट बैंकों को लाइसेंस देने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक एक ढांचा तैयार करेगा। आला हितों की पूर्ति करने वाले विशिष्ट बैंक, स्थानीय क्षेत्र के बैंक, भुगतान बैंक आदि की परिकल्पना छोटे कारोबारों, असंगठित क्षेत्र, निम्न आय वाले परिवारों, किसानों और प्रवासी कार्य बल की ऋण और प्रेषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई है।” कई संबद्ध पार्टियों और आम जनता से इस संबंध में अनेक टिप्पणियां और सुझाव प्राप्त हुए। इस प्रकार प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर भुगतान बैंकों संबंधी दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया गया। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1090
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