26 जून 2018 भारतीय रिज़र्व बैंक ने जून 2018 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) जारी की जो इस श्रृंखला में 17वीं है। एफएसआर भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और वैश्विक तथा घरेलू कारकों से उत्पन्न जोखिमों के प्रति इसकी आघात सहनीयता का समग्र आकलन प्रतिबिंबित करती है। यह रिपोर्ट वित्तीय प्रणाली की गतिविधियों और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा करती है। प्रणालीगत जोखिमों का समग्र आकलन वैश्विक और घरेलू समष्टि-आर्थिक जोखिम
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हाल की कुछ नरमी के बावजूद, वर्ष 2018 के लिए वैश्विक वृद्धि संभावना सकारात्मक बनी हुई है।
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तथापि, उन्नत वित्तीय बाजारों से उभरते बाजारों में स्पिल-ओवर जोखिम बढ़ गए हैं।
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अमेरिका का विस्तारकारी राजकोषीय नीति के साथ-साथ विकसित बाजारों में चलनिधि स्थिति के कड़े होने तथा मजबूत अमेरिकी डॉलर ने उभरती बाजार मुद्राओं, बॉन्डों और पूंजी प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। पण्य-वस्तुओं की कीमतों का बढ़ना, उभरती भौगोलिक-राजनीतिक गतिविधियां और बढ़ती संरक्षणवादी भावनाएं संवृद्धित जोखिम हैं।
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घरेलू मोर्चे पर, आर्थिक वृद्धि गति पकड़ रही है। तथापि, जिन स्थितियों ने राजकोषीय समेकन को पुष्ट कर दिया है, पिछले कुछ वर्षों में मुद्रास्फीति में नरमी आई है और अनुकूल चालू खाता घाटे से उनमें परिवर्तन हो रहा है, और इस प्रकार चौकन्ना रहना आवश्यक हो गया है।
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घरेलू वित्तीय बाजारों में, संरचनाबद्ध परिवर्तनों से क्रेडिट मध्यस्थता के पैटर्न में बदलाव हो रहा है तथा बाजार ब्याज दरों पर प्रभाव पड़ रहा है। ये गतिविधियां जो अर्थव्यवस्था के विविधीकृत वित्तपोषण के अच्छे संकेत हैं, में प्रणाली में अधिक सतर्कता की मांग करती हैं जिससे कि वित्तीय स्थिरता की रक्षा की जा सके।
वित्तीय संस्थाएं: कार्यनिष्पादन और जोखिम
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बैंकिंग प्रणाली में दबाव जारी है क्योंकि सकल अनर्जक अग्रिम (जीएनपीए) अनुपात और बढ़ गया है।
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अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की लाभप्रदता घट गई है, जिसका आंशिक कारण उनका बढ़ा हुआ प्रावधानीकरण है। जबकि इससे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के विनियामकीय पूंजी अनुपातों पर दबाव बढ़ गया है, प्रावधान कवरेज़ अनुपात में वृद्धि हुई है।
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सुस्त जमाराशि वृद्धि के बावजूद, वर्ष 2017-18 के दौरान अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की क्रेडिट वृद्धि बढ़ी।
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समष्टि-दबाव परीक्षण संकेत करते हैं कि चालू समष्टि-आर्थिक संभावना के बेसलाइन परिदृश्य में, जीएनपीए अनुपात मार्च 2018 के 11.6 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2019 तक 12.2 प्रतिशत हो सकता है। प्रणाली स्तरीय जोखिम-भारित आस्ति पूंजी अनुपात (सीआरएआर) इस अवधि क दौरान 13.5 से घटकर 12.8 हो सकता है, शीघ्र सुधारात्मक कार्रवाई ढांचे के अंतर्गत आने वाले ग्यारह सार्वजनिक क्षेत्र बैंक अपने जीएनपीए अनुपात को बिगड़ते देख सकते हैं जो मार्च के 21.0 प्रतिशत से बढ़कर 22.3 प्रतिशत हो सकता है, जिसमें छह पीसीए पीएसबी 9 प्रतिशत के अपेक्षित न्यूनतम सीआरएआर की तुलना में कम पूंजी का अनुभव कर सकते हैं।
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सरकार द्वारा घोषित पूंजी संवर्धन योजना से संभावित पूंजी कमी का समाधान हो जाएगा, साथ ही अच्छी स्थिति वाले बैंकों में क्रेडिट वृद्धि में एक उत्प्रेरक की भूमिका भी निभाएगी। इसके समानांतर, रिज़र्व बैंक के पीसीए ढांचा से, कमजोर बैंकों में और पूंजी हानि को रोककर, इन बैंकों की आघात सहनीयता को एक बिंदु तक मजबूती प्रदान करने में सहायता करेगा जहां से वे सामान्य परिचालन शुरू कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अभिशासन सुधार, यदि शीघ्र और सही ढ़ंग से किए गए तो इनसे न केवल बैंकिंग क्षेत्र के वित्तीय कार्यनिष्पादन में सुधार होगा बल्कि परिचालनात्मक जोखिम भी कम करने में मदद मिलेगी।
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कुल मिलाकर, विनियामकीय और पर्यवेक्षी उपायों से मध्यावधि में आबंटनकारी सक्षमता और वित्तीय स्थिरता का पूर्वानुमान है, चाहे इस प्रक्रिया में कुछ लघुकालिक कष्ट हों।
जोस जे. कट्टूर मुख्य महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/3374 |