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भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘त्रैमासिक बीएसआर – 1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की बकाया ऋण राशि, दिसंबर 2014’ प्रकाशित की

29 जून 2015

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘त्रैमासिक बीएसआर – 1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की
बकाया ऋण राशि, दिसंबर 2014’ प्रकाशित की

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपना वेब प्रकाशन त्रैमासिक बीएसआर – 1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की बकाया ऋण राशि, दिसंबर 2014 प्रकाशित किया । मूलभूत सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर) – 1 पर पहली बार त्रैमासिक आंकड़े प्रकाशित किए जा रहे हैं । मूलभूत सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर) – 1 में उधारकर्ता का व्‍यवसाय/कार्यकलाप तथा संगठनात्‍मक क्षेत्र, खाते का प्रकार, ब्याज दर, ऋण सीमा और प्रत्‍येक ऋण खातें में बकाया राशि के आंकड़े संग्रहित किए जाते हैं। ऐसी सूचना रिपोर्टकर्ता बैंक कार्यालयों के स्‍थान संबंधी पैरामीटरों का प्रयोग करते हुए बैंक समूह, जनसंख्या समूह और राज्य स्तर पर एकत्र की जाती है।

इस वेब प्रकाशन में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अन्‍य) के 31 दिसंबर 2014 के सकल बैक ऋण के व्‍यापक आंकड़े; इससे पहले प्रकाशित ‘भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की मूलभूत सांख्यिकीय विवरणियां’ 43 वां खंड, 31 मार्च 2014 में दिए गए 31 मार्च 2014 के तुलनात्‍मक आंकड़ों के साथ प्रस्तुत किए गए है। ये आंकड़े वेबसाइट पर भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था से संबंधित आंकड़ों (डेटाबेस) (डीबीआई) (http://dbie.rbi.org.in) के माध्‍यम से http://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!12 पर देखे जा सकते हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक वार्षिक आधार पर बीएसआर – 1 सर्वेक्षण के माध्‍यम से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की ऋण राशि संबंधी आंकड़े शाखा स्‍तर पर संग्रहित करता रहा है। नीतिगत उद्देश्‍यों के लिए इन आंकड़ों के प्रयोग हेतु सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अन्‍य) के लिए प्रायोगिक आधार पर सर्वेक्षण की अवधि त्रैमासिक कर दी गई है। ये आंकड़े अब पब्लिक डोमेन में प्रकाशित किए जा रहे है।

इन आंकड़ों से उभरने वाली मुख्‍य बातें निम्‍ननुसार है।

  • दिसंबर 2014 के अंत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) का सकल बकाया ऋण वित्‍तीय वर्ष 2014-15 के पहले नौ माह के दौरान 3.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 63,519 बिलियन तक पहुंच गया।

  • उधार खातों की संख्या भी मार्च 2014 में 117 मिलियन से 3.7 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2014 में 122 मिलियन तक पहुंच गई।

  • मार्च 2014 से दिसंबर 2014 तक नौ माह के दौरान शहरी और महानगरीय केंद्रों में क्रमश: 4.3 और 2.3 प्रतिशत की निम्‍न वृद्धि की तुलना में ग्रामीण और अर्ध-शहरी केंद्रों के ऋण में 9.8 प्रतिशत और 8.5 प्रतिशत की उच्‍चतर वृद्धि दर्ज की गई।

  • दिसंबर 2014 में प्रत्येक 0.2 मिलियन तक की ऋण सीमा के साथ, लघु उधार खातों की उधार खातों की कुल संख्‍या में तीन-चौथाई हिस्सेदारी के साथ, कुल बकाया ऋण में सहभागिता 7.3 प्रतिशत हो गई।

  • सकल बैंक ऋण में ‘कृषि’ क्षेत्र को ऋण का हिस्‍सा मार्च 2014 में 12.0 प्रतिशत से घटकर दिसंबर 2014 में 11.4 प्रतिशत हो गया, जबकि ‘उद्योग’ क्षेत्र का हिस्‍सा सीमांत रूप से बढ़कर 42.7 प्रतिशत से 43.0 प्रतिशत हो गया।

  • वैयक्तिक आवास ऋण का हिस्‍सा मार्च 2014 में 8.5 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2014 में 9.4 प्रतिशत हो गया।

  • सभी ऋणों और अग्रिमों के संबंध में भारित औसत ब्याज दर मार्च 2014 के अंत में 12.04 प्रतिशत से घटकर दिसंबर 2014 के अंत में 11.85 प्रतिशत हो गई।

संगीता दास
निदेशक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/2767

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