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भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का बकाया ऋण’, जून 2017 जारी किया

21 दिसंबर 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का
बकाया ऋण’, जून 2017 जारी किया

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2017 के तिमाही आंकड़ों के साथ अपना वेब प्रकाशन तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का बकाया ऋण, जून 2017 जारी किया। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक बीएसआर-1 के अंतर्गत ऋण-खाता स्तरीय आंकड़े प्रस्तुत करते हैं जबकि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) इन आंकड़ों को वार्षिक आधार (मार्च के अंत की स्थिति) पर रिपोर्ट करते हैं। बीएसआर-1 सर्वेक्षण का लक्ष्य उधारकर्ता का व्यवसाय/गतिविधि और संगठनात्मक क्षेत्र, खाते का प्रकार, ब्याज दर, क्रेडिट सीमा और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) से एकत्र किए गए बकाया की राशि से संबंधित ब्यौरों के आधार पर बैंकों के क्रेडिट के स्थानिक वितरण से संबंधित सूचना प्राप्त करना है। ये आंकड़े बैंक समूह, जनसंख्या समूह, राज्य और स्तर पर प्रस्तुत किए जाते हैं।

जून 2017 के बीएसआर-1 आंकड़ों में 86 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी और एसएफबी को छोड़कर) के 1,14,790 कार्यालयों (पिछली तिमाही में 1,13,755 कार्यालयों को कवर किया गया) को कवर किया गया। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के बकाया सकल बैंक क्रेडिट पर तिमाही आंकड़े दिसंबर 2014 से वेब लिंक https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!12 पर भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस में उपलब्ध हैं।

चूंकि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंकों को 1 अप्रैल 2017 से एसबीआई में समामेलित कर दिया गया है, बैंक समूह ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक’ में बाद की अवधि के लिए समामेलित संस्था एसबीआई और राष्ट्रीयकृत बैंक (आईडीबीआई बैंक लिमिटेड सहित) शामिल हैं।

मुख्य विशेषताएं:

  • एससीबी द्वारा कुल ऋण में मुख्य रूप से बड़े आकार के ऋणों की उत्‍साहहीन मांग के कारण 2017-18 की पहली तिमाही में मौसमी सुधार देखा गया, यद्यपि तिमाही के दौरान 40 मिलियन से अधिक ऋण के सभी आकार- वर्गों में गिरावट आई।

  • निजी कॉरपोरेट क्षेत्र की ऋण मांग कम रही और कम कार्यशील पूंजी और निवेश की मांग के चलते औद्योगिक ऋण में गिरावट आई।

  • पारिवारिक क्षेत्र में बैंक ऋण में तिमाही के दौरान और अधिक वृद्धि हुई और कुल ऋण में उसका हिस्सा जून 2017 के अंत तक 1.5 प्रतिशत से बढ़ा।

  • ऋण सुधार बड़े पैमाने पर महानगरीय जनसंख्या समूहों में हुआ, जबकि ग्रामीण, अर्द्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में ऋण में मामूली वृद्धि हुई।

  • बैंक समूहों के बीच, निजी क्षेत्र के बैंकों ने ऋण संविभाग में विस्तार दर्ज किया।

  • विमुद्रीकरण के बाद कम लागत वाली जमाराशि में मुख्य रूप से बड़ी अधिशेष नकदी की वजह से बढ़ोतरी के कारण भारित औसत उधार दर (बीएसईआर) में जनवरी-मार्च 2017 में 31 आधार अंकों (बीपीएस) से अधिक की गिरावट आई और जून 2017 के अंत में 10.78 फीसदी पर रहने के बाद इस तिमाही के दौरान 11 आधार अंकों (बीपीएस) से सुधार हुआ।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/1705

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