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भारतीय रिज़र्व बैंक ने "त्रैमासिक बीएसआर–1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की बकाया ऋण राशि, सितंबर 2015" प्रकाशित की

21 अप्रैल 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘त्रैमासिक बीएसआर–1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की
बकाया ऋण राशि, सितंबर 2015’ प्रकाशित की

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपना वेब प्रकाशन ‘त्रैमासिक बीएसआर – 1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की बकाया ऋण राशि, सितंबर 2015’ आज प्रकाशित किया। मूलभूत सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर)–1 में उधारकर्ता का व्‍यवसाय/कार्यकलाप तथा संगठनात्‍मक क्षेत्र, खाते का प्रकार, ब्याज दर, ऋण सीमा और प्रत्‍येक ऋण खाते में बकाया राशि के आंकड़े संगृहीत किए जाते हैं। ऐसी सूचना रिपोर्टकर्ता बैंक कार्यालयों के स्‍थानिक पैरामीटरों का प्रयोग करते हुए बैंक समूह, जनसंख्या समूह और राज्य स्तर पर एकत्र की जाती है।

इस वेब प्रकाशन में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से इतर) के 31 दिसंबर 2014 के सकल बैंक ऋण के व्‍यापक आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। ये आंकड़े भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था से संबंधित आंकड़ों (डेटाबेस) (डीबीआई) (http://dbie.rbi.org.in) नामक वेबसाइट के माध्‍यम से http://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!12 पर देखे जा सकते हैं।

मुख्‍य-मुख्‍य बातें:

  • जून 2015 की तुलना में सितंबर 2015 के दौरान समग्र ऋण की स्थिति में मामूली सुधार आया। सिंतबर 2015 में 4 मिलियन ऋण खातों की बढ़ोतरी के साथ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) के सकल बैंक ऋण में 1.7 प्रतिशत की तिमाही वृद्धि दर्ज हुई।

  • जहां तक महानगरीय क्षेत्र में बकाया ऋण का मामला है सितंबर 2015 के दौरान 1.3 प्रतिशत की तिमाही वृद्धि दर्ज हुई, जबकि जून 2015 के दौरान 1.8 प्रतिशत की गिरावट (तिमाही-दर-तिमाही) दर्ज हुई थी। इसी प्रकार, शहरी व अर्ध-शहरी क्षेत्रों ने भी सितंबर 2015 के दौरान 3.1 प्रतिशत की तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि दर्ज हुई। तथापि, इस तिमाही के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के ऋण में मामूली गिरावट आई।

  • सितंबर 2015 में छोटे उधार खातों ( 0.2 मिलियन तक की ऋण सीमा) की संख्‍या में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई तथा बकाया राशि में 2.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई।

  • ‘कृषि’ और ‘उद्योग’ क्षेत्रों, जिनका समग्र ऋण में संयुक्‍त हिस्‍सा 50 प्रतिशत से अधिक होता है, में सितंबर 2015 के दौरान धनात्‍मक तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि दर्ज हुई; जबकि ये क्षेत्र जून 2015 में ऋणात्‍मक स्‍तर पर रहे। ‘वैयक्तिक ऋणों’ ने सितंबर 2015 में 4.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की। इसका मुख्‍य कारण इस तिमाही में आवास ऋणों में लगभग 3.1 प्रतिशत तथा शिक्षा ऋणों में 4.6 प्रतिशत की लगातार तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि थी।

  • सितंबर 2015 में सभी रुपया ऋणों व अग्रिमों की भारित औसत ऋण दर (डब्‍ल्‍यूएएलआर) 11.59 प्रतिशत आंकी गई, जबकि जून 2015 में यह 11.69 प्रतिशत थी। डब्‍ल्‍यूएलआर में गिरावट ‘व्‍यापार’ को छोड़कर अन्‍य सभी क्षेत्रों में देखी गई।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2466

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