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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सितंबर 2017 की तिमाही के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की “जमा और ऋण के लिए” त्रैमासिक सांख्यिकी जारी की गई

28 नवंबर 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सितंबर 2017 की तिमाही के लिए
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की “जमा और ऋण के लिए” त्रैमासिक सांख्यिकी जारी की गई

आज भारतीय रिज़र्व बैंक ने 30 सितंबर, 2017 तक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (अ॰वा॰बै॰) की जमा-राशि और ऋण पर तिमाही सांख्यिकी जारी की। ये आंकड़े क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (क्षे॰ग्रा॰बैं॰) के साथ-साथ दो लघु वित्त बैंकों और दो विदेशी बैंकों, जिन्हें तिमाही के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में जोड़ा गया था, सहित सभी अ॰वा॰बै॰ को कवर करते हैं। इस सर्वेक्षण में राज्यवार, जिलावार, केंद्रवार, जनसंख्या-समूह और बैंक-समूहवार सभी प्रकार की जमा-राशि और बैंक ऋणों को सम्मिलित किया गया है। यह प्रकाशन https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!3 लिंक से प्राप्त किया जा सकता है।

मुख्य बातें :

  • सितंबर 2017 में पिछली तिमाही की तुलना में कुल आबादी समूहों और बैंक समूहों में सकल जमा और बैंक ऋण वृद्धि (वर्ष दर वर्ष) कम हुई; निजी क्षेत्र के बैंकों ने जमा और ऋण में दोहरे अंकों की वृद्धि जारी रखी जबकि विदेशी बैंकों ने 2017 की तिमाहियों में उत्तरोत्तर नकारात्मक वृद्धि दर्ज की।

  • सकल जमा-राशि में चालू और बचत खातों (सीएएसए) की हिस्सेदारी, सितंबर 2016 तिमाही में 36.4 प्रतिशत से विमुद्रीकरण के पश्चात दिसंबर 2016 की तिमाही में बढ़कर 40.9 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर 2017 में भी लगभग इसी के आसपास बनी रही।

  • महानगर शाखाएं / कार्यालय बैंकिंग के प्रमुख केंद्र बने रहे और आधे से अधिक जमाराशियों और बैंक क्रेडिट में उनका लगभग दो-तिहाई योगदान रहा।

  • सभी अ॰वा॰बै॰ के कुल कारोबार (कुल जमा + बैंक ऋण) का दो-तिहाई हिस्सा सात राज्यों [महाराष्ट्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात] से था।

  • बैंकिंग प्रणाली की अखिल भारतीय ऋण-जमा (सी-डी) अनुपात सितंबर 2017 के अंत में बढ़कर 73.3 प्रतिशत रहा जो एक तिमाही पहले 72.8 प्रतिशत था; महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक प्रमुख राज्य थे जिनके अनुपात में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/1462

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