भारतीय रिज़र्व बैंक ने लघु कारोबार और कम आय परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवा समिति की रिपोर्ट जारी की - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने लघु कारोबार और कम आय परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवा समिति की रिपोर्ट जारी की
7 जनवरी 2014 भारतीय रिज़र्व बैंक ने लघु कारोबार और कम आय परिवारों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर आम जनता के अभिमत और इस संबंध में दो सदस्यों से अतिरिक्त अभिमत प्राप्त करने के लिए लघु कारोबार और कम आय परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवा समिति की रिपोर्ट जारी की है। अभिमत 24 जनवरी 2014 को या इससे पहले प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, 10वीं मंजिल, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400 001 को ईमेल या डाक द्वारा द्वारा भेजे जा सकते हैं। समिति ने वित्तीय समावेशन और उसकी व्यापकता के लिए अपना विज़न वक्तव्य निर्धारित करते हुए सुझाव दिया है कि 18 वर्ष से ऊपर की आयु के सभी भारतीयों को एक सार्वभौमिक बैंक खाता उपलब्ध कराया जाए तथा जमा और भुगतान के लिए भुगतानकर्ता बैंकों एवं रु. 50 करोड़ की रियायत वाले प्रवेश स्तरीय मानदंडों के साथ ऋण तक पहुंच हेतु थोक बैंकों के लिए सीधे विभेदक बैंकिंग प्रणाली की अनुशंसा की है। प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र पर समिति ने ऋण में कठिनाई के स्तर के आधार पर खंडवार और क्षेत्रीय महत्व के साथ 40 प्रतिशत की वर्तमान अपेक्षा के बदले 50 प्रतिशत के समायोजित प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण लक्ष्य की अनुशंसा की है। समिति ने बाजारों के माध्यम से जोखिम और चलनिधि अंतरणों की भी सिफारिश की है। इस तथ्य पर विचार करते हुए कि बैंक विभिन्न ग्राहक खंडों और आस्ति वर्गों पर अपनी प्राथमिकता प्राप्त रणनीतियों पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं, समिति ने यह सिफारिश की है कि नियंत्रक प्रत्येक आस्ति वर्ग के स्तर पर विभेदक प्रावधानीकरण मानदंडों पर विशिष्ट मार्गदर्शन उपलब्ध कराएं। अतः किसी बैंक का समग्र अनर्जक आस्ति व्यापकता अनुपात इसके समग्र पोर्टफोलियो आस्ति मिश्रण का कार्य होगा। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की परिभाषा पर समिति ने केवल दो श्रेणियों की सिफारिश की है - एक श्रेणी मुख्य निवेश कंपनियों के लिए और दूसरी श्रेणी सभी अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए है। समिति ने अनर्जक आस्तियों के वर्गीकरण तथा वित्तीय आस्ति का प्रतिभूतिकरण और पुनर्संरचना एवं प्रतिभूति ब्याज का प्रवर्तन (सरफेसी) अधिनियम, 2002 पात्रता के संबंध में तटस्थता के सिद्धांत के आधार पर बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बीच विनियामक संकेन्द्रण की सलाह दी है। समिति ने सुझाव दिया है कि एक राज्य वित्त विनियामक आयोग (एसएफआरसी) का गठन किया जाए जिसमें सभी वर्तमान राज्य सरकार स्तरीय विनियामकों को आमेलित किया जा सके और वे गैर-सरकारी संगठनों-सूक्ष्म वित्त संस्थाओं के विनियम की तरह कार्य करें तथा उसमें स्थानीय मुद्रा सेवा कारोबार को शामिल किया जा सके। समिति ने इच्छा व्यक्त की है कि रिज़र्व बैंक अपनी परिवीक्षा के अधीन सभी विनियमित संस्थाओं को विशेषरूप से व्यक्तियों और छोटे कारोबार के लिए लागू उपयुक्तता पर विनियम जारी करे ताकि ऐसे विनियमों का उल्लंघन का परिणाम संस्था के लिए दंडात्मक कार्रवाई हो जैसाकि दंड, बंद करने और रोक लगाने वाले आदेशों और लाइसेंसों के संशोधन और निरसन सहित विभिन्न उपायों के माध्यम से संगत कानूनों के अंतर्गत निर्धारित है। पृष्ठभूमि यह स्मरण होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने सितंबर 2013 में डॉ. नचिकेत मोर, रिज़र्व बैंक के केन्द्रीय निदेशक बोर्ड के सदस्य की अध्यक्षता में लघु कारोबार और कम आय वर्ग के परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवा समिति का गठन किया था। इस समिति में काफी वरिष्ठ और अनुभवी वित्तीय और कानूनी विशेषज्ञों को सदस्यों के रूप में शामिल किया गया था। श्री एस. करुप्पासामी और डॉ. दीपाली पंत जोशी, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक इस समिति के विशेषज्ञ पर्यवेक्षक थे। श्री ए. उद्गाता, प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग इस समिति के सदस्य- सचिव थे। इस समिति को अनुसंधान और तकनीकी सहायता आईएफएमआर वित्तीय फाउंडेशन द्वारा उपलब्ध कराई गई थी। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1367 |